1- हिन्दी भाषा, अपने में अनेंकों भाषाओं के शब्द समाहित किये हुए है|
2- हिन्दी भाषा का प्रत्येक ध्वनिचिह्न अपना अलग अस्तित्व रखता है |
3- हिन्दी भाषा में जैसा बोलें वैसा लिख भी सकते हैं |
4- हिन्दी भाषा का इतिहास प्राचीन है|
1) हिन्दी भाषा में संस्कृत, उर्दू, अरबी, फारसी, पिंगल अंग्रेजी, आदि क्षेत्रिय भाषाओं का सम्मिश्रण है एवं इसके साथ साथ संस्कृत भाषा से उपजे तद्भव शब्दों एवं कुछ हिन्दी मूल के ही शब्दों से हिन्दी भाषा का विकास हुआ जी कि देवनागरी लिपि में लिखी जाती है।
2) जैसी बोली जाती है ठीक उसी प्रकार लिखी भी जाती है। कोई अंतर नहीं।। हिन्दी भाषा में सब कुछ तथ्यों पर आधारित है।
3) ज्यादातर हिन्दी भाषा के शब्द अपने परिचय का संकेत करते हैं। जैसे: झर झर बहने वाला = झरना
4) विश्व की किसी भी भाषा को हिन्दी में लिखा जा सकता है।
जैसे:- Hospital- हास्पिटल
School - स्कूल
નમસ્તે જી- नमस्ते जी
♢ हिन्दी की विशेषताएँ ♢
1) हिन्दी भाषा में संस्कृत, उर्दू, अरबी, फारसी, पिंगल,अंग्रेजी, आदि क्षेत्रिय भाषाओं का सम्मिश्रण है एवं इसके साथ साथ संस्कृत भाषा से उपजे तद्भव शब्दों एवं कुछ हिन्दी मूल के ही शब्दों से हिन्दी भाषा का विकास हुआ जो कि देवनागरी लिपि में लिखी जाती है।
2) जैसी बोली जाती है ठीक उसी प्रकार लिखी भी जाती है, कोई अंतर नहीं, हिन्दी भाषा में सब कुछ तथ्यों पर आधारित है। ऐसी खूबी अन्य किसी भी भाषा में नही हैं। जिस प्रकार का बोलने में उच्चारण होता है, उसी प्रकार लेखन भी किया जाता है।
3) ज्यादातर हिन्दी भाषा के शब्द अपने परिचय का संकेत करते हैं।
जैसे :- झर झर बहने वाला ~ झरना, पढ़ना, लिखना, दौड़ना आदि।
4) विश्व की किसी भी भाषा को हिन्दी में लिखा जा सकता है।
जैसे:-
Hospital - हास्पिटल School - स्कूल
નમસ્તે જી- नमस्ते जी
इसका तात्त्पर्य है कि~
हिन्दी का अपना क्षेत्र मात्र दो स्थान तक है और यहीं से उत्तरोत्तर बढ़ रहा है |
१. तद्भव शब्द~वे शब्द जो संस्कृत से हिन्दी में आये हैं,पर प्रयोग में उनका रूप (बनावट) बदल जाता है पर अर्थ वही बना रहता है |
ये शब्द ही हिन्दी को स्थापित करते हैं | बाक़ी तो *हिन्दी में लगभग ६० ℅संस्कृत का समावेश है | शेष में उर्दू, फ़ारसी, पुर्तगाली, रूसी, चीनी इत्यादि भाषाओं के साथ देशज का संयोग है |
जैसे~
दैनिक बोलचाल में सर्वाधिक स्थानीय देशज का पुट होता है |
लेखन में हम विविध भाषाओं का सहयोग लेते है | कहते भले ही हिन्दी हों, पर बहुत सी भाषाएँ मिली होती है |
पर,
हिन्दी में संस्कृत का सबसे अधिक प्रयोग है |
आगे पढ़ते हुये हम शब्द प्रकरण में इसे और भी गहराई तक समझेंगे |
🙏 हिंग्लिश, कोई भाषा नहीं है भाई😊, तो भाषा का प्रायोगिक व संक्रमित रूप है | इसे मौखिक भाषा ही कहा जायेगा और मौखिक अप्रामाणिक होती है अत: इसका व्याकरण अध्ययन ही नहीं करती |
वैसी भी भाषा होने के लिये कुछ कसौटियाँ होती हैं, जिन पर खरा उतरने पर ही भाषा की मान्यता मिलती है |
सबसे प्रमुख तो दो नियम है~
१. मानक व्याकरण हो
२. विस्तृत भू-भाग में प्रयोग की जाती हो |
🙏🏻 जय जय 🙏🏻
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