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♧ पुटभेद छंद ♧
शिल्प~
[रगण सगण सगण सगण सगण लघु गुरु]
(212 112 112 112 112 1 2)
17 वर्ण प्रति चरण,
4 चरण,2-2 चरण समतुकान्त।
शील से सहकार सखा मन में प्रभु लाइए।
प्रेम हो सम भाव सदा समता सुर गाइए।।
दीजिए हमको सुचिता सुख वान बनाइए।
वंदना शिव की गुणगान अनंत सुनाइए।।
✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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