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नमन अभिव्यक्ति (07/07/17)

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आप सभी अग्रजों, श्रद्धेय, पूजनीय,  अनुजों को नमन जैन अद्वितीय का हृदयस्थल से अभिवादन, प्रणाम, पगवन्दन।

आप सभी को नमन जैन का  अद्वितीय नमन 

आज मैंने अपनी आयु के अट्ठारह वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। यह आयु संविधान द्वारा बालिग होने का प्रमाण देती है। अब तक के जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव, खुशी-गम, प्यार-दुश्मनी देखी है। परन्तु ईश्वर की कृपा से और आप सबकी दुआओं से मैं कभी विचलित नही हुआ।

पिछले एक वर्ष में मेरे जीवन में इतने अद्भुत प्रकार के परिवर्तन हुए जिन्हें शायद शब्दों का रूप दे पाना भी संभव न हो। माँ शारदे की असीम कृपा, गुरुजनों के आशीष मुझ पर फले जिसका परिणाम है कि मैं आठ माह में लेखनी पकड़ने का प्रयास कर पा रहा हूँ।  

मैं पहले से ही साहित्यप्रेमी रहा हूँ परंतु देश की व्यवस्था को देखकर कलम चलाने का मन होता था, परन्तु उरी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक से पहली बार अंतर्मन की भावनाओं ने शब्दों का रूप धारण किया।   

यह आयु किशोरावस्था का अंतिम और युवावस्था का प्रथम चरण होती है। इसी आयु में यह सुनिश्चित किया जाता है कि आगे हमें क्या करना है। व्यक्ति का व्यक्तित्व बनाने और बिगाड़ने में इस उम्र का खासा योगदान होता है। इसी आयु में ये सीखा जाता है कि जिम्मेदारियाँ उठानी हैं या उनसे भागना है। 

जन्मदिवस पर बहुत-से लोग शराब🍷🥃 आदि का सेवन करके उत्सव मनाते हैं जो कि हमारी संस्कृति के ही विरुद्ध नही है अपितु सेहत के लिए भी हानिकारक है। वहीं कुछ लोग केक🎂 बनवाकर उस पर अपना नाम लिखवाते हैं और कुछ मोमबत्तियाँ 🕯प्रज्ज्वलित करते हैं फिर उन्हें बुझाकर, केक काटकर जन्मदिवस मनाते हैं यदि आपने इस शुभ अवसर पर ही काटने का कार्य किया तो जोड़ने का कार्य कब करेंगे और आखिर भारतीय संस्कृति में कौन सा उत्सव प्रकाश विलुप्त करके संपन्न होने लगा।  
मैं अाप सभी से अपने जन्मदिवस पर यह विनती करता हूँ कि कृपया भारतीय संस्कृति विरोधी तरीके से जन्मोत्सव न मनायें क्योंकि संस्कृति यदि नष्ट हो जाए तो जीवन का मूल्य नही।

इसी के साथ आपके आशीष की आशा में।

नमन जैन अद्वितीय


प सभी के इतने आशीष मिले कि हृदय गदगद हो गया। मैनें इससे पहले इतना शानदार जन्मदिवस कभी नही मनाया। आपके द्वारा दिये गये आशीष मेरे जीवन में सफल हों यही कामना ईश्वर से करता हूँ। जब तक आप सबका आशीष मेरे साथ है मैं कभी भी अपने पथ से विचलित नही होऊँगा। आशीष भैया आपके द्वारा इस प्रकार के संस्कार मुझे दिए गये जो शायद अभिभावकों द्वारा भी नही दिये गये। जब आप जैसे बड़े भाई का आशीष हो तो पथ में कोई बाधा आने का सवाल ही उत्पन्न नही होता। आस दादाश्री, सरस दादाश्री आपसे मात्र दो बार की मुलाकात में जीवन में और स्वभाव में मुझे ऐसे परिवर्तन परिलक्षित हुए जिन्हें में स्वप्न में भी नही विचार सकता था। आ० राहुल दादाश्री, कान्तिप्रभा भाभी जी, सुदिप्ता दी आपसे केवल एक मुलाकात हुई पर एक मुलाकात में ही ऐसा लगा कि संसार की सारी खुशियाँ मेरे मुट्ठी में हों। परमपूज्य अलबेला गुरुजी, परमपूज्य भगत गुरुजी एवं परमपूज्य सोम गुरुवर आपके द्वारा प्रदत्त ज्ञान से मैं कलम पकड़ने के काबिल हुआ हूँ। आ० अरुण दादाश्री, आ० सौम्या दीदी आज यह ज्ञान मिला कि अपने ही अपनों की कद्र करते हैं कभी जाने-अनजाने यदि किसी प्रकार के अपमानजनक या दिल को ठेस पहुँचाने वाली बात कही हो तो क्षमाप्रार्थी हूँ। मेरे परमप्रिय मित्र और मेरे भाई चिराग जैन, नवीन जैन, शिवम यादव और विकास भारद्वाज भाई आपके द्वारा दिये गये इस प्रेम को मैं तो क्या शायद कोई भी न भुला सके। सरल दादाश्री आपके द्वारा दिये गये मार्गदर्शन से सदैव ही मैं और हमारा पूरा परिवार सतपथ पर अग्रसर हुआ है। आ० नवीन तिवारी दादाश्री अापके संचालनीय जौहर से यहाँ मौजूद एक एक व्यक्ति पूरी तरह परिचित है। आ० कुमार सागर भैया अपनी ड्यूटी पर तत्पर होने के बावजूद साहित्य से इतना लगाव हम सबको प्रेरित करता है। आ० आफताब अहमद जी, आ० सुशीला जी, आ० विनोद जी, आ० श्रीहंस जी, आ० विनय जी, आ० राकेश जी एवं जिनका नाम रह गया हो उनका भी पुनः हार्दिक आभार
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