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समीक्षा सुधा दोहे (भगत)

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साहित्यिक सांस्कृतिक समिति (पंजी• 226) द्वारा संचालित आभासी पटल ["जय जय हिन्दी"] पर  "सावन" विषय पर रचनाकारों के शानदार सर्जन पर वैयाकरण गुरु  आ• भगत सहिष्णु जी की त्वरित व भावदोहन द्वारा सर्जित दोहा टिप्पणियों का समीक्षा सुधा कलश प्रस्तुत है आप सबके समक्ष।

श्याम लला  श्री मोहना, निशदिन सुमरत आप |
केशव  वत्सल  इन्दु  के, हरे   तुरत  तिहुँ  ताप ||
©भगत

योग साधना ध्यान की, हरि शरणम् संयोग |
कहे मुरारि  भक्त प्रवर, मिटते  सब  दुर्योग ||
©भगत

कहत  नित्य  श्री  हंस जी, सीधी  सच्ची  बात |
सहज दिखाते पथ विमल, नमन आपको तात ||
©भगत

मात-तात सुमिरन करो, कहत प्रीत धर दिव्य |
सतत चरण  रज सब गहो, पूरे  सब  मन्तव्य ||
©भगत

बहन  समर्पित  भाव से, नाम  यथारथ  सिद्धि |
सतत जाप हरि का करे, जो दायक सब ऋद्धि ||
©भगत

प्रियवर सोनू हंस जी, नमन करत नित भोर |
करे कृपा प्रभु आप पर, रखे हृदय धर कोर ||
©भगत

पीव प्रीत  पावन  झरे, सरल बचन ततसार |
सदा नमन गुरुवर करे, हो तव जय जयकार ||
©भगत

श्याम सलौना प्रीत का, कहे अखिल आगार |
हमने  तो  दर्शन  किये, आपुहि कथ साकार ||
©भगत

सतत भुवन चिन्तन करत, बहना गौरव आप |
लक्ष्मी  के   हर   रूप  का, भाव धरो परताप ||
©भगत

पुष्प बहाने  कर रहे, पटल गुणिन गुणगान |
आज अकिंचन कर रहा, बंधु आपु सन्मान ||
©भगत

पुष्प  बहाने   भर  रहे, पटल   भाव  राजेश |
सदा सहायक हो यहाँ, खगपति अरु राकेश ||
©भगत

🙏 दोहे में नाम का प्रयोग न हो सका था, सो पुन: प्रयास |
सावन के मिस आपने, कहा यथारथ आज |
कलम सिद्ध प्रियवर रहे, गौरव बनो समाज ||
©भगत

सावन के मिस आपने, कहा यथारथ आज |
प्रिय प्रदीप दीपित रहो, गौरव बनो समाज ||
©भगत

भाम छंद महँ रच दिये, सावन का अनुभाव |
वाह ! ओम जी है नमन, चरण आपु सद्भाव ||
©भगत

सावन   पर    दोहे    रचे, सरस  राग   युत   रास |
नमन चरण पावन विमल, भगति शरण हरि आस ||
©भगत

साथी जी  के  गीत पर, सब कुछ करूँ निछार |
सदा विमल कोमल कथन, तात गहो जयकार ||
©भगत

शिवम नाम अनुरूप ही, कहे कथन जग सार |
सदा बढ़ो प्रिय विमल पथ, सन्मारग पग धार ||
©भगत

ओज अगन भरते बचन, सावन की कर आस |
नमन आपके पद विमल, बना   रहे    विश्वास ||
©भगत

सर्जन विषयेतर किये, तदपि सरस तव भाव |
मीत महेन्दर आपको, बार. -  बार    सद्भाव ||
©भगत

सावन अरु बादल वरे, सीमा कहे सुबात |
दोनों ही  औषध बने, पीड़ा मन हर जात ||
©भगत

बादल को पो छंद में, सरस रचे  मृदु भाव |
कलम रही तेरी सखा, समरस ही अनुभाव ||
©भगत

सावन    बदरा   एक   से, कहते   है   श्री   हंस |
मिलन योग साधक प्रबल, क्षीर सजे जिमि कंस ||
©भगत

सरल सहज बरसात पर, रचते    दोहा    छंद |
धन्य हुआ पढ़कर सखा, भगत आज मतिमंद ||
©भगत

सावन भरता प्रीत मद, बदरा  हरते पीर |
साहिल दोनों का करे, वंदन बनकर कीर ||
©भगत

बरखा मिस मन की कही, दीप्त आप मन खोज |
कलम  प्रखर  है  आपकी, भरा  हुआ  है  ओज ||
©भगत

साहिल हिय के हार है, सागर है यह प्रीत |
मन होता  है  मोद तब, साहिल गाते गीत ||
©भगत

मन के मीठे भाव को, कहे पिरोकर आप |
सरल हृदय  में  पैठते, साथी तुम चुपचाप ||
©भगत

बरखा सावन साथ ले, दोहे रचे विधान |
रेनू बहना आपका, सब करते गुणगान ||
©भगत

नेमलता  ने  गूँथकर, बारिश के मिस भाव |
सहज सरस बातें कहीं, गहो भगत सद्भाव ||
©भगत

रचा   सवैया   छंद   में, सावन   बदरा    मेल |
हँसमुख भैया जय गहो, भगण रची सुधि बेल ||
©भगत

कहाँ भगत में गुण रहे, अवगुण का आगार |
तदपि आपने यश दिया, बार - बार आभार ||
©भगत

भगत समीक्षा  से मिला, कवि को नव आधार ।
व्यक्त  करूं आभार  मैं, नमन करूं शतबार ।।।
  🌺 हँसमुख आर्यावर्ती

भगत जग के हार हैं,साहिल उनका दास।
सागर सम ज्ञानी अहै,गुरु है जीवन साँस।।
       🙏🏻साहिल

आज समीक्षा गा रही, भगत नेह का गान|
रचना सुन्दर हैं सभी, पढ़ना सुधी सुजान||
   ✍🏻सरस🙏🏻

नैनन सावन की छटा, परदेशी ओ कंत|
एक मिलन की आस ले, जीती हूँ भगवंत||
    ✍🏻सरस🙏🏻

    🙏🏻जय जय 💐

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