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समर्पण

समीक्षा

माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी कल रात मेरे स्वप्न में आये बोले बेटा उभरते युवा साहित्यकार हो, कुछ भारत के प्रति समर्पण की, माँ भारती की गाथा पर कोई काव्य लिख दो, दिल बड़ा बेचैन है, देश के हित में सदा ही हम बिछाये अपने नैन है। मैं तो कर रहा हूँ पूरा जतन, क्या कहता है एक देशवासी का मन,
      मेरा हृदय द्रवित हो उठा। मैनें अपना भाव लिख दिया।

"श्री मोदी जी की करुण वेदना"

         *समर्पण*
(विधा ~ ताटंक छन्द)

आज समर्पण की जननी का,
   गीत सुनाने आया हूँ।
आज समर्पण की गाथा को,
   जीत बनाने आया हूँ।

जहाँ देश पर मिटने वाले,
  उस जननी का बेटा हूँ।
जो अनाज से भूख मिटाते
  उस किसान का बेटा हूँ।

बहुत हुई है चोर बजारी, 
सबक सिखाने आया हूँ।
राष्ट्र प्रेम में जीवन अर्पित,
  राह दिखाने आया हूँ।

सहनशील धरती का साहस,
  मैं बतलाने आया हूँ।
कठिन राह पर चलते जाना,
  साथ निभाने आया हूँ।

इस भारत में धर्म समर्पण,
  दीप जलाने आया हूँ।
कौशल ज्ञान और विकास की
   रीत बनाने आया हूँ।

नर नारी और युवाओं का,
  भाव जगाने आया हूँ।
आज समर्पण की जननी का,
  गीत सुनाने आया हूँ।

लेखक ~~
        डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

समीक्षा - बहुत ही बढ़िया छंद । बहुत सुंदर भाव । कला पक्ष भी श्रेष्ठ है । माननीय नरेंद्र मोदी जी के विचार प्रदर्शित करता हुआ छंद । यदि ये विचार कर्म रूप में परिणित हो जाए तो भारत देश पुनः विश्व गुरू बन जाएगा ।

👏🏻👌🏻👏🏻👌🏻👏🏻👌🏻
     नवीन कुमार जैन

Comments

  1. सुंदर रचना। बधाई। पर कुछ जगह विधान भांग होने से लय भंग है।

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