☆किस्मत / भाग्य☆
कलयुग के जीवन में,
सुख दुख की कहानी,
लोग समझे इसको,
किस्मत की रवानी,
लोगों से आशायें,
जीवन से अपेक्षायें,
छोटी छोटी आशा,
मिल जायें मनमाफ़िक,
तो अच्छी किस्मतवाला,
न मिलें मन का तो,
बुरी किस्मतवाला,
बदली इंसा ने,
किस्मत की परिभाषा,
कर्म में समाहित ,
भाग्य की आशा,
ईश्वर पर विश्वास,
लगन के साथ,
सच्चा परिश्रम ही,
कर्म की परिभाषा,
कर्मो से बनती,
किस्मत सुहानी,
मुसीबत से न डरें,
तो जीवन अभिमानी,
जनहित हो सब काम ,
कौशल से भरपूर,
मिलें सुखों का धाम,
कर्म का कौशल ही,
योग कहलाये,
गीता में बतलाये,
योग से हमें ,
परमात्मा मिल जाये,
सच्चा हो काम,
दुख से न डरें,
मन में हो विश्वास,
तो किस्मत भी बदलें,
चित्रगुप्त मन में,
अंकित सब हिसाब,
कर्मों का जोखा लेखा,
शुभ कर्म ही बनायें,
किस्मत की रेखा,
कर्मो से बदल जायें,
भौतिक सुखों को,
समझे न किस्मत,
शिखर पर पहुँचें,
साहिल पर कदम,
छूँ लें आसमान ,
मिलें आपके,
स्वर्ग पर निशान,
बनें हम सब का,
जीवन आसान ।।
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि) २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही है ५. ओष्ठ~ ये जानते ही हैं ६. कंठतालु~ कंठ व तालु एक साथ ७. कंठौष्ठ~ कंठ व ओष्ठ ८. दन्तौष्ठ ~ दाँत व ओष्ठ अब क्रमश: ~ १. कंठ ~ अ-आ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ङ), अ: (विसर्ग) , ह = कुल ९ (नौ) वर्ण कंठ से बोले जाते हैं | २. तालु ~ इ-ई, च वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ) य, श = ९ (नौ) वर्ण ३. मूर्धा ~ ऋ, ट वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण), र , ष =८ (आठ) वर्ण ४. दन्त ~ त वर्ग (त, थ, द, ध, न) ल, स = ७ (सात) वर्ण ५. ओष्ठ ~ उ-ऊ, प वर्ग (प, फ, ब, भ, म) =७ (सात) वर्ण ६. कंठतालु ~ ए-ऐ = २ (दो) वर्ण ७. कंठौष्ठ ~ ओ-औ = २ (दो) वर्ण ८. दंतौष्ठ ~ व = १ (एक) वर्ण इस प्रकार ये (४५) पैंतालीस वर्ण हुए ~ कंठ -९+ तालु-९+मूर्धा-८, दन्त-७+ओष्ठ-७+ कंठतालु-२+कंठौष्ठ-२+दंतौष्ठ-१= ४५ (पैंतालीस) और सभी वर्गों (क, च, ट, त, प की लाईन) के पंचम वर्ण तो ऊपर की गणना में आ गए और *ये ही पंचम हल् (आधे) होने पर👇* नासिका\अनुस्वार वर्ण ~
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