12/ 05/ 2016
।।ॐ।।
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अग्नि पर जब फल, फूल अनाज, दूध, दहीं, घी, तेल डाला जाता है तो वो यज्ञ बन जाती है !!!
और....
उसी अग्नि पर जब मुर्दा शरीर, हड्डी, मांस का शरीर रखा जाता है चाहे वो पूरा हो या कटा हुआ हो तो वो चिता बन जाती है !!!
हमें भी जब भूख लगती है तो हमारे भीतर जठराग्नि (अग्नाशय एवं अमाशय के माध्यम से) प्रज्जवलित होती है तब हम
उस में भी कुछ ना कुछ डालते हैं ।
अगर
हम उस में चिकन, मटन या मांस या मछली डालते हैं तो वो चिता बन जाती है और
अगर हम उसमें फल, फूल, अनाज, दूध, दहीं, घी, तेल आदि प्राकृतिक वस्तुयें डालते हैं तो वो भी यज्ञ बन
जाता है या यज्ञ समान हैं ,
अब आपको अपने भीतर चिता जलाना है या
यज्ञ यह निर्णय आप को करना है !!!
शरीर की रक्षा ही ईश्वर है ।ईश्वर को मानने में कर्मकाण्ड की जरूरत नही हैं अपने शारिरिक यज्ञ को ही निभा लें यहीं बहुत है।
माँ बाप पर विश्वास करें न करें फिर भी रहते उनके पुत्र ही है , ईश्वर पर भी विश्वास का प्रश्न ही नहीं उठता ।
शाकाहारी बनें और स्वस्थ रहें । शरीर रक्षा ही मन और आत्मा को पवित्र करती है ।
धन्यवाद
आपका दिन व जीवन शुभ हो।
लेखन
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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