फागुन में खिलने लगे,
देखो आज पलाश,
मन मादक सा हो गया ,
क्या क्या करता आस।।
मौसम के बदलाव का ,
चढ़ा अनोखा रंग ,
हुई बावरी नेह में,
तुम भी करते तंग ।।
अधर तुम्हारी याद में ,
मौन हुए हैं आज,
बैरी फागुन हो रहा ,
छेड़ो दिल का साज ।।
पीली सरसों सी हुई ,
जाने क्यों मनुहार,
छुई मुई सी लाज से,
होती ज्यों कचनार ।।
यौवन आकर लगाता ,
मन के अंदर आग ।
तुम जब बैठे दूर हो ,
क्या होली क्या फाग ।।
डॉ• अरुण श्रीवास्तव "अर्णव"
🌷🌷🌷सुप्रभात🌷🌷🌷
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