वफा न करना, वफा न करना, वफा न करना
उस बेखबर से वफा न करना
जान न पाती दिल की लगी को
मचलते मन को
मेरी पसन्द को
उस बेखबर से वफा न करना
कमसिन हसीना आँखें शराबी
दिल की लगी में होती खराबी
तड़पते मन को
चमकते तन को
उस बेखबर से वफा न करना
वफा न करना, वफा न करना, वफा न करना।
नजरें मिलाने को दिल चाहता है
मैं भी प्यार करूं मेरा दिल चाहता है
मिल जाय इक प्यारी सी,
जिसके ख्वाबों में खो जाएँ
आसमान की कोई परी से
नजरें मिलाने को दिल चाहता है
मीठी सी मुस्कान हो
जिसकी बातों में खो जाएँ
फूलों सी सुन्दर आँखों से
नजरें मिलाने को दिल चाहता है।
साहिल
[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण - इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...
Comments
Post a Comment