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मंजुभाषिणी छन्द

◆मंजुभाषिणी छंद◆
[ सगण जगण सगण जगण+गुरु]
(112  121  112  121 2)13 वर्ण,
4 चरण,दो-दो चरण समतुकांत

मिटते जहान पर देवदूत हैं। 
जननी पुकार सुनते सपूत हैं।। 
प्रभु प्रेम से सुफल काज कीजिये।
हित देश का वचन आज लीजिये।।  
 
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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