हिन्दी भाषा
हिन्द है हम हिन्दी से प्रेम होना चाहिए ,
कला ज्ञान विज्ञान का ज्ञाता,
भाषा हमें बनाती है,
नव प्रकाश की किरण है हिन्दी ,
आत्मोत्थान कराती है,
देवभाषा माँ से प्रेम होना चाहिए।
आदि मनु से मानस तक,
भाषा हमें उठाती है ,
सूर कबीर तुलसी भाषा,
नवयुग लाती है ,
आदर्श बनो स्वामी सुभाष सा,
भाषा भाव सिखाती है ।
मिश्रित भाषा ही तो जड़ है ,
अपराध विकृतियों की,
निज भाषा हिन्दी में ,
शक्ति मानस बदलने की ,
संस्कार सिखला कर भाषा ,
व्यक्तित्व बनाती है ।
विश्वास शक्ति आ जाये,
समाज बदलने की,
उपेक्षित गंगा गायत्री गौ इस संसार से,
पनपा अत्याचार भ्रष्टाता मनो विकार से ,
बीज डालकर स्वच्छता
मन में प्रेम जगाइऐ,
हिन्द है हम हिन्दी से प्रेम होना चाहिए।
आलिंगन कर भाषा से ,
प्रेम सभी को सिखलाओ ,
प्रकृति बदल दो सम्प्रदाय की ,
हिन्दुत्व सभी में ले आओ ,
बीज मंत्र है सनातन ,
जन मानस को समझाओ,
हिन्द है हम हिन्दी से प्रेम होना चाहिए।।
धन्यवाद
डाॅ राहुल शुक्ल
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