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पृथ्वी संरक्षण

🌺  पृथ्वी संरक्षण 🌺
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बहुत ही गम्भीर विषय है। पृथ्वी संरक्षण तो समझ में नही आया केवल ये समझ आया कि  हम जिस धरती पर रहते हैं, जिसकी जलवायु में रहते हैं, जिस प्रकृति के उपहार स्वरूप अनुदानों का उपयोग करते हैं, पेड़ पौधों और वनों से प्राण वायु एवं भोजन प्राप्त करते हैं, सुखद शीतल हवा का आनन्द लेते हैं और धरती माता के दैविक संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं। इसके बदले में हम प्रकृति को धरती माता को प्रदूषण  देते है, पेड़- पौधे काटकर मकान इमारते बनाते हैं, गाडियों से धुयें का प्रदूषण फैलाते हैं। वन सम्पदा को हानि से नही बचा पाते हैं पहाड़ों को काटकर रास्ते और भवन बनाते हैं। नदियों के जल कटाव को नही रोक पाते हैं, मृदा संरक्षण की ओर नही मन लगाते हैं, अच्छी फसल खाद और कीटनाशकों से बनाते हैं।मृदा के खनिज को बचा नही पाते हैं, कूड़ा, कचरा, सीवेज, गन्दा पानी, आदि बहुत कुछ पावन नदियों में और भूमि की तलछट में मिलाते हैं, धरती को गन्दा बनाते हैं, जीवों को मारते हैं और उर्वरा शक्ति को घटाते हैं। हमें तो समझ में नही आता कि हम फिर कैसे धरती को माता कहते हैं। प्रकृति और धरती के संसाधनों का समुचित उपयोग ही,  बिना प्रदूषण फैलाये पृथ्वी संरक्षण कहलाता है।

पृथ्वी को प्रदूषण से बचाये,
संसाधनों का संरक्षण सीखे और सिखाये,
धरती की सहनशीलता अनुपम है,
अपना समझें दायित्व सभी को बतायें। 

    डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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