बाल गोविन्दा की आरती (विश्वेश्वर शास्त्री जी)

आरती बाल गोबिंदा की,
              यशोदा आनंद कंदा की |
चलन कर घुटुवन की प्यारी,
          सुशोभित प्यारी किलकारी |
करत लीला लीला धारी ,
     लगी तन धूल,  अलक रही झूल,
                सुघर  सुख  मूल,
छाई छवि है मुख चंदा की,
                  यशोदा आँनंद कंदा की ||१||
शीस पे मोर पंख सोहें,
         बनी बेनी मन मोहें ,
                 बडे नैना बाँकी भौंहें ,
झीन पट पीत, हाथ नवनीत,
              बढत लख प्रीति,
जयति जय बाल मुकुंदा की,
                यशोदा अानंदकंदा की ||२||
गरे मैं सोहे बनमाला,
                      आरती करतीं बृजबाला,
कृपाकर प्यारे नंदलाला,
        देहु वरदान, भक्ति को दान,
                 करो कल्यान,
विनय "विश्वेश्वर" वृन्दा की,
                   यशोदा आनंद कंदा की ||३||
३०-०९-१७
                     विश्वेश्वर शास्त्री "विशेष"

[10/18, 10:44 PM] डाॅ• राहुल शुक्ल: अति उत्तम सर्वश्रेष्ठ आरती
बाल गोविंदा की
आ• विश्वेश्वर शास्त्री जी आपके भाव व शब्द संयोजन सर्वोत्तम है|
दो पंक्तियाँ आपके सम्मान में,

विश्वेश्वर जी रच दिए, बाल रूप का सार|
गोविंदा की आरती, काटै  जीवन भार||
जपो सब मिल कर आओ ; प्रभु की आरती गाओ|

   🌹  साहिल

[10/18, 10:45 PM]
यूँ स्नेह सिंचन से,
      हुयी इस उर में हरयाली |
खिलीं मुरझाई कलिका फिर,
    सुवासित नेह की डाली |
हुआ कृतकृत्य पा करके,
     सु पावन प्यार शुक्लाजी,
नमन है आप को मेरा,
    बहुत आभार संग ताली !!

      विश्वेश्वर शास्त्री

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Comments

  1. आदरणीय विश्वेश्वर शास्त्री जी द्वारा रचित श्री कृष्ण के बाल रूप गोविन्दा की आरती अति उत्तम मनभावन अद्भुत लयात्मक एवं गेय है| आप सभी गाकर जरूर आनन्द लें|
    डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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