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आज की समीक्षा
समय-दोपहर २बजे से शाम ६ बजे तक कि रचनाएँ
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(१)विवेक दुबे"निश्छल",,२:५९
विवेक दुबे
लिखते हैं रचना
हार जीत की|
बताये राज़
न जाने कैसे कैसे
सोचनीय हैं|
बताई हार
अपनी इच्छाओं की
लेके चले जो|
अति सुन्दर
बधाई हो आपको
रचना हेतु|
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(२)संतोष कुमार"प्रीत",३:०१
संतोष जी
लिखते कुंडलिया
हार जीत की।
संग्राम होता
जीवन ही सबका
रहो तैयार।
प्रीत की रीत
बताते सबको ये
बधाई"प्रीत"।
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(३)शिवम यादव,४:०८
शिवम जी ने
बता दिया है सार
हार जीत का।
न मानो हार
भारत के पूत हो
खूब लिखा है।
रति देती है
बधाई आपको ये
जीतो सदा ही|
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(४),बृजमोहन श्रीवास्तव "साथी",४:०९
बृजमोहन
लिखते तुलसी की
महिमा सुनो।
वृंदा महान
बताते रचना में
नमन है जी।
एकादशी की
महिमा बताते हैं
सब ही जानें।
घनाक्षरी है
अति मनभावन
बधाई रखें|
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(५)नीतेंद्र सिंह परमार,४:१७
नीतेंद्र जी ने
माता की महिमा को
लिख दिया है।
वर चाहें वे
चले सदा कलम
माँ शारदे से।
सुन्दर है जी
ये रचना आपकी
बधाई देती|
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(६),,विश्वेश्वर शास्त्री"विशेष",,४:१८
"विशेष जी ने
लिख दिया सुन्दर
प्रेम गीत है|
हार गए हैं
मन को अपने ये
मीत बनाके|
हुआ गीत है
ये प्रेम प्रेममय
मनभावन|
देती बधाई
इस गीत के लिए
स्वीकार करें|
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(७),विश्वेश्वर शास्त्री"विशेष",,४:५६
"विशेष"जी ने
फिर से लिख डाला
चौपाई छंद।😁😁
एकादशी का
महत्त्व बता रहे
कथा सुहानी|
ज्ञानयोग्य है
सब ही जाने अब्
कथा लिखी जो|
बधाई देती
इस रचना हेतु
पुनः आपको|
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(८),,कौशल कुमार पांडे"आस",५:०८
ध्यान लगाओ
प्रभु चरणन में
बतलाते हैं|
मंत्र देते हैं
निराशा त्यागने का
प्रभु साथ हैं|
बधाई हो जी
ये उत्तम रचना
ज्ञानवान है|
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रति ओझा
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दूसरी बार समीक्षा का प्रयास है किसी प्रकार की ,,,,,,,त्रुटि हेतु क्षमा चाहूँगी,,,,,,वैसे तो सभी की रचनाओं की समीक्षा की है,,,,यदि कोई रचना छूट गई हो तो मुझे अवश्य बतायें|
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