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आ• सरल जी

[10/31, 14:20] बिजेन्द्र सिंह सरल:

      दीपावली 
गीत- 16+16

आओ मन के दीप जलायें, अंधकार को दूर भगायें ।
फिर होवे सच्ची दीवाली, हम मानव का धर्म निभायें।।

छूटे जो समाज में पीछे,
जितने बुरे व्यसन ने खींचे ।
जोड़े उन्हें मुख्य धारा में,
जीवन जीना चलो सिखायें।। आओ मन के - - - - ।

भूल अशिक्षा बेकारी से,
भूख गरीबी लाचारी से। 
पिछड़ गये अपने विकास में,
उनको सब अधिकार दिलायें।। आओ मन के-- -।

वृद्धापन में जिनको छोड़ा,
सब मीठे सपनों को तोड़ा।
भटक रहे दाने- दाने को,
उनका भी सम्मान बचायें।। आओ मन के -- - -।

बहनें जो विपदा की मारीं,
विधवा  हो  घूमें  बेचारी  ।
उनका वर ढूँढें समान ही,
वोभी अपनी माँग सजायें।। आओ मन के- - - ।

जो थे अहंकार में फूले,
सारे सत्कर्मों को भूले ।
चले कुपथ काँटों में उलझे,
कुछ खुशियों के फूल खिलायें।। आओ मन के- - -।

बिजेन्द्र सिंह सरल (मैनपुरी उत्तर प्रदेश )

[10/31, 14:21] बिजेन्द्र सिंह सरल:  

       🌻मौलिकता प्रमाण पत्र🌻
घोषणा-
मैं ये घोषणा करता / करती हूँ , कि पुस्तक " जय जय हिन्दी विशेषांक" में प्रकाशन हेतु भेजी गयी समस्त रचनाएं मेरे द्वारा लिखित हैं तथा जीवन परिचय में दी गई समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है , असत्य पाये जाने की दशा में हम स्वयं जिम्मेदार होंगे।

                 बिजेन्द्र सिंह यादव "सरल"

दिनांक-31/10/2017

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