रत्नकरा छन्द

  ♤रत्नकरा छंद♤ 

विधान~
[ मगण सगण सगण]
( 222  112  112 )
9वर्ण, 4 चरण,
दो-दो चरण समतुकांत

         कन्हैया
प्यारे है  मनभावन जू|
सोहै  सूरत सावन जू||
राधा  चाहत  नैनन  में|
बंशी बाजत कानन में||

          राधा
मेरे  मोहन श्याम लला|
गाऊँ मोहक नाम भला||
राधा की विनती सुन लो|
कान्हा जी मुझको चुन लो||

        गोपियाँ
चाहे गोपिन याद करें|
कान्हा के बिन आह भरें||
जल्दी से तुम मान रखो|
आओ हे भगवान सखो||

© डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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