रामा छंद
121 , 122 , 11
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खिले तब मेरा मन|
हिले हिय का आँगन||
कहो कुछ बोलो तुम|
दबे पट खोले हम||
कहें मन मेरा सुन|
कही सब यादें बुन||
कभी बहलाती वह|
सदा हरषाती रह||
©डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
♧रामा छंद♧
विधान~ [जगण यगण लघु लघु]
(121 122 1 1)
8 वर्ण, 4 चरण [दो-दो चरण समतुकांत]
भजूँ गण के नायक|
कृपा फल है दायक||
करूँ नित मैं वंदन|
सुनो शिव के नंदन||
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
♤रामा छन्द ♤
नही अब जाना तुम|
दया सुख पाना तुम||
हरी जग पीड़ा जब|
रहे हिय नाता तब||
मिले गुनकारी पल|
बनें हितकारी चल||
भरें मन में चाहत|
मिले मुझको राहत||
🌺साहिल🙏
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