♢ पदममाला छंद ♢
शिल्प~ [रगण रगण गुरु गुरु]
(212 212 2 2)
8 वर्ण/चरण,4 चरण,
2-2 चरण समतुकांत
दीन की भी करो सेवा|
भावना से मिले मेवा||
प्रेम का गीत गाओ जी|
प्रीत प्यारी सुनाओ जी||
मीत से प्रीत का नाता|
रीत से जीत दे दाता||
गाइए गीत प्यारा जी|
पाइए नेह सारा जी ||
प्रेम का ही सहारा है|
नाथ प्यारा हमारा है||
वंदना स्वर गाओ जी|
दीप कोई जलाओ जी||
©डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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