[10/10, 06:11] +91 72510 69105:
नमन करूँ माँ शारदे ।
भरो ज्ञान के पुंज ।
भोर आगमन हो गया ।
अब दर्शन दो जगदम्ब ।।
भोर भई माँ खोलो अँखिया ।
दयादृष्टि हम पर कीजै।
भक्त खड़े हैं तेरे द्वारे ।
अब तो दरश दिखा दीजै ।
शुभ प्रभात की बेला आयी ।
पंछी के सुर दिए सुनाई ।
करें स्वागतम जगत ने मिलकर।
शारदे माँ की वंदना गाई ।
जागो जागो है जग जननी ।
वीणा वादिनी सरस्वती ।
मंगलमय मंगल रूप में आओ
अब तो दया दिखा दीजै ।
जब जब मेरी चले लेखनी ।
माँ तेरा गुणगान करूँ।
श्रद्धा भक्ति और विनय संग ।
पूर्ण तेरी महिमा लिखूं ।
सोम,सरस्,के भगत माँ ।
निर्मल सिद्धि नमन करूँ ।
मन मन्दिर में बसों भवानी ।
करके दया अपना लीजै।
दूध दधि स्नान करो माँ ।
केशर चंद तिलक धरके ।
स्वर्ण मुकुट संग लाल भाल पे ।
स्वेत वस्त्र धारण करके ।
बैठि हंस पर शंख चक्र और ।
ले वीणा दर्शन दीजै ।।
भक्त खड़े हैं तेरे द्वारे ।
अब तो दरश दिखा दीजै ।
भावना शर्मा भक्तिराज बृजवासी
🙏🌹🙏🙏💐💐💐🌹🙏🙏🙏🙏🌹🙏🙏🌹🙏
[10/10, 21:46] कौशल पाण्डेय आस: मास्टर मालिक कक्ष का,दीखे कक्षा बीच।
दास आस तो तो द्वार पे,बैठा आँखें मीच।।
[10/10, 21:49] भगत गुरु: 👌😊 पर,
द्वार खड़ा मालिक प्रथम, बिन हिलता नहि पान |
भीतर का बैठा रहे, बाँधे हुये मचान ;
बड़ा तो बाहर भैया, लगाता पार है नैया ||😃😃😃
©भगत
नमन है आपको 🙏
🙏 जय-जय
[10/10, 22:04] भगत गुरु: 😊🙏 परन्तु,
पूछ जगत में सब रहो, ज्ञान मिलेगा खास |
सरस सरल साहिल बड़ा, संग बड़ा है आस ;
और भी ऊपर सारे, सबन के भगत सहारे ||😃
©भगत
🙏 जय-जय
[10/10, 22:18] भगत गुरु: 🙏
लघुता से राघव मिले, गुरुता से अज्ञान |
सो चातुर लघुता चहे, मूढ़ चहे गुरु मान ;
मर्म की बात है जानो, तत्त्व क्या है पहचानो ||
©भगत
🙏 जय-जय
[10/10, 22:22] भगत गुरु: जब-जब भी नैनन खुले, माया वश तब होय |
अरु जब मिलते जान लो, पार लोक ही सोय ;
समझ कर नैन उघारो, बिगड़ता काज सँभारो ||
©भगत
[10/10, 22:33] भगत गुरु: 😊🙏
निज को तज पर को गहो, मिले सभी गुण खान |
कृपा कोर हरिअहि मिले, पाथर पावन जान ;
कपीश्वर के क्या कहने, राम धुन गहने पहने ||
©भगत
[10/10, 22:50] भगत गुरु: 😊 एक को न छोड़ूँ भैया , क्योंकि ~👇
गुरु पद पर थापित किये, किये पलायन आप |
सोच रहो कितना हुआ, भगत हृदय परिताप ;
उपस्थित अब सब रहना, यही अब कथ है कहना ||🙏
©भगत
[10/11, 06:00] +91 72510 69105: 🙏शुभ प्रभात🙏
🙏मंगलाचरण🙏
जागिये जग जीवन ज्योति विधायक ।
श्री शारदे परम् दयामय ।
अखिल विश्व सुखदायक ।
मोहनिशा की तामस तन्द्रा ।
बीत गयी सुखदायक ।
तुम्हरी दिव्य ज्योति चहुं फेरे ।
फैली मंगलदायक ।
चन्द्र, सूर्य,उडगन सब तारे ।
हैं श्री चरणन कहँ पायक ।
रवि शत कोटि दिव्य तब आभा ।
भूषित छवि सब लायक ।
शेष महेश शुक सनकादिक ।
हैं तुम्हरे गुण गायक ।
सत्य,सरलता,प्रेम रूप माँ ।
सब घट की शुभ दायक ।
तुम अनंद भव भीति विभंजन ।
अखिल विश्व अधिनायक ।
निज चरनाश्रित भक्त वृन्द के।
सब संकल्प विधायक
भक्ति भावना हृदय लाडिली ।
बृजवासी शुभदायक
🙏जय माँ भगवती🙏
भावना शर्मा भक्तिराज बृजवासी
[10/11, 08:46] +91 72510 69105: 🙏वंदना🙏
राधा कहो कहो बाधा
विनाशिनी हैं वही ।
श्यामा रटो श्यामा रटो ।
पाप प्रनाशिनी है वही ।।
श्री भानुजा पद कंज की ।
आराधना सुखदायिनी।
सर्व वांछा कल्प तरु ।
भुवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी ।
श्री चरण युग सेव्य हैं।
ब्रह्मादि सुरवर वृन्द से ।
लालित् रहें श्री लाडिली ।
बृज गोप गोपी वृन्द से ।
श्री नाम लीला धाम में ।
माधुर्य का आवास है ।
मधुर मोहन अंग वेष्टित ।
केलि हास विलास है ।।
कीरति कुमारी कीर्ति तब ।
शुक शेष भी नही गया सके ।
अनुपम अनादि चरित्र का ।
वर्णन कहाँ कवि कर सके।।
सुख कंद जिसके संग से ।
सुख स्नेह से परितृप्त हो ।
सुंदर सलोना स्याम वह ।
जिसके विना अतृप्त हो ।
श्री कृष्ण चंद्र की चारु ज्योत्स्ना ।
श्री कृष्ण घन नव दामिनी ।
श्री कृष्ण विग्रह की सुशोभा ।
श्री कृष्ण अंक विलासिनी ।
श्री कृष्ण वश में है तुम्हारे
तुम कृष्ण की वश गामिनी ।
श्री कृष्ण तुम में कृष्ण में तुम ।
रहती नित्य विहारिणी ।।
🙏जय जय राधामाधव 🙏
भावना शर्मा भक्तिराज बृजवासी ।
अभी अधूरी वंदना लिख पाई हूँ आज गुरुदेव ओर माँ शारदे की कृपा से जल्द ही पूर्ण करने का प्रयास करूँगी ।।🙏🙏🙏🙏🙏
Comments
Post a Comment