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विमला छन्द

          ♤ विमला छंद ♤

विधान ~[ सगण मगण नगण लघु गुरु ]
( 112   222  111  1   2)
11वर्ण, 4 चरण, दो-दो चरण समतुकान्त

तुम ही मेरी चाहत प्रिय हो|
हर बाधा में राहत जिय हो||
जब से पाया है मन तुमको|
बरसा है  जैसे सुख हमको||

डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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