♢ बृहत्य छन्द♢
विधान~
[ यगण यगण यगण]
(122 122 122)
9 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
सही बात तू ही बताना|
रहूँ साथ मेरा निभाना||
यही प्रेम राधा जपाए|
मुझे पास तेरे बुलाए||
साहिल
♢ बृहत्य छंद ♢
विधान~
[ यगण यगण यगण]
(122 122 122)
9 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
मुझे नाथ दे दो सहारा।
सदा आपको ही पुकारा।।
दशा दीन की तो निहारो।
कृपाकुंज मोहे उबारो।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
♤बृहत्य छंद♤
विधान~
[ यगण यगण यगण]
(122 122 122)
9 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत
रहें भान तेरा सहारा |
जपूँ नाम तू ही हमारा ||
दया प्रेम नाते निभाओ |
सदा ज्ञान गंगा बहाओ||
निशा की उदासी मिटाओ|
धरा से बिमारी हटाओ ||
जपूँ राम सीता नवाऊँ |
दया दान सेवा निभाऊँ||
©डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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