बलिदान कभी बेकार नही जाता|
चाहे हो वह गाँधी का
चाहे भगत बलिदानी का
चाहे आजाद हो राजगुरु
चाहे पटेल बहादुर हो|
संघर्षो के पथ पर, आजादी के दिवाने हो,
सुभाष फौज सेनानी हो|
🙏 जय जय🙏
दीया जब जलता है तो महत्व तो उस बाती का भी होता है जो अपने आप को पूरा जलाने को तत्पर है|
महत्व तो तेल का भी होता जो रिस रिस कर थोड़ा थोड़ा जाता है पर दीपक को निरन्तर जलाता है|
महत्व तो उस दियाली का भी है तो मिट्टी से बनती है पर रोशनी करने को तैयार है|
महत्व तो दिये की लौ का भी है जो अंधेरा मिटाकर थोड़ा सा ही सही उजाला करने को तैयार है|
कुछ ही सही पर महत्व तो दियालिया बनाने वाले कुम्हार का भी है, जिसकी बदौलत हम दीपक जलाते हैं|
क्या ईंधन के रूप में तेल या घी देने वाले का या स्वंय की राशि तेल के लिए खर्च करने वाले का महत्व दीपक की रोशनी में नगण्य तो नही|
महत्व तो सबसे बड़ा, उसका भी है जिसने जन-जन के मन में आजादी का दीपक जलाया, दीप की क्रान्ति ज्योति के रूप में हर दिल में हर आत्मा में बसाया|
आजादी के दिवानों/ परवानो/शहीदों और आजाद भारत की सोच रखने वाले हम सभी महानुभावों एवं सेनानियों को श्रृद्धापूर्वक नमन व वंदन करते हैं|
*कर्म धर्म का मर्म समझना हमरे बस की बात नही,*
*आजादी में काम जो आए छोड़ेगे उनकी याद नही|*
*गाँधी सुभाष अरु लाल बहादुर भगत सिंह आजाद वही,*
*सबके सब थे परवाने उन शहीदों की बात वही|*
स्वतंत्रता का दीप जलाये
करना उनको याद सभी|
दीपक बन जो देह जलाए,
अमर शहीदी ही कहलाए|
©डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
🙏जय हिन्द जय भारत🙏
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