♡ सूर घनाक्षरी ♤
शिल्प~(8,8,8,6 वर्ण चरणान्त में लघु या गुरु दोनों मान्य)
केशरी के नंदन जू,
हे जगत वंदन जू,
दानव निकंदन जू ,अंजनी लाल जू।
बल बुद्धि के निधान,
सकल गुणोंकी खान,
महावीर बलवान,कालोंके काल जू।।
बीर बली रामदूत,
हनुमान वायुपूत,
अंजनेय विपदा को,नाशौ तत्काल जू।
आपके सेवों चरण,
संकट करो हरण,
पड़ा है सोम शरण,कीजे निहाल जू।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
सूर घनाक्षरी
जब चाहे देश रक्त ।
देंगे चाहे जिस वक़्त ।
कट्टर हैं देश - भक्त ।
मौत से क्यूँ डरें ।।
बोलता है रोम-रोम।
जय हिंद ओम-ओम।
यही हमारी संस्कृति।
भाव ऐसे भरें ।।
सब एक बन जाएँ।
एकता के गीत गाएँ।
विश्व भाल पर छाएँ।
ऐसा कुछ करें ।।
मेरी भारत भारती।
करें इसकी आरती।
भारत के लिये जीयें।
इसी लिये मरें।।
मुकेश शर्मा
सूर घनाक्षरी (8,8,8,6)
चरणान्त लघु / गुरु दोनों ही मान्य
पृथ्वी माँ का श्रृंगार है।
श्रेष्ठ ये उपहार है।
डाले पुष्पों का हार है।
यही आधार है।
नये पत्ते नये वस्त्र।
वृक्ष देते अस्त्र शस्त्र।
प्रदूषण के विरुद्ध।
ये हथियार हैं।
नदी है रक्त - वाहिनी।
ये हैं जीवन-दायिनी।
स्नेह से भिगोती सदा।
करें दुलार हैं।
सुगन्धित वायु होती।
लेते बड़ी आयु होती।
इन्हें साफ-स्वच्छ रखें।
ये मेरे विचार हैं।
सूर घनाक्षरी
लिखते जो छंद कोई,
पढ़ते वो छंद सब|
मन हौंस बढती तो,
और भी लिखते||
आज मन क्षोभ भरा,
भाव बैठ रो रहे हैं|
मेरी पीड़ा साथी मेरे,
आप भी लखते||
आप मेरे प्यारे अति,
आप से ही मेरी लाज|
साज सारे मौन पड़े,
लाज आ रखते||
नैन मेरे दर्श प्यासे,
घुट रहीं मेरी साँसे,
साथी मेरे मेरे साथ,
आप भी दिखते||
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
दिलीप कुमार पाठक "सरस"
सूर घनाक्षरी
विधान~8,8,8,6
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करवा चौथ का व्रत,
सभी नही करती है,
करने के लिए इसे,
नारी भी सती हो।
निरजला निराहार,
व्रत नारी रखती हैं,
रहकर दिनभर,
शुद्ध भी मति हो।
गौरा,शिव संग चंद्र,
को भी नारी पुजती हैं,
सात जनम नारी को,
वही तो पति हो।
सुहागन ही रहना,
सभी नारी चाहती हैं,
जिए मरे साथ साथ,
संग भी पति हो।
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✍शीतल बोपचे
सूर घनाक्षरी छंद,
शिल्प- (8,8,8,6), 30 वर्ण
चरणान्त में लघु गुरु दोनों मान्य
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राम जी का ध्यान धर
नित्य गुणगान कर
रूप का बखान कर
राम राम बोल
काम क्रोध लोभ तज
राम राम राम भज
शीश गुरु पद रज
रख रख डोल
मद मोह माया जाल
घेर रहे सम व्याल
मत चल भेड़ चाल
ज्ञान चक्षु खोल
झूठ छल दम्भ त्याग
प्रभु पद अनुराग
बीती रात जाग जाग
हानि-लाभ तोल
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राकेश दुबे "गुलशन"
08/10/2017
बीसलपुर/बरेली/मुज़फ्फरपुर
जीवन-साथी पर एक प्रयास
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विधा- सूर घनाक्षरी छंद,
शिल्प- (8,8,8,6), 30 वर्ण
चरणान्त में लघु गुरु दोनों मान्य
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है कोई भूखा धन का
कोई यौवन तन का
जीवन-साथी मन का
मिलता न कोई
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दोष सब जाता भूल
पथ में न बोता शूल
काम-काज प्रतिकूल
करता न कोई
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सुख-दुख में दे साथ
छोड़ें नहीं कभी हाथ
दीनबंधु दीनानाथ
दिखता न कोई
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मान अपमान कहीं
रोदन हो गान कहीं
मृत्यु के समान कहीं
छलता न कोई
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राकेश दुबे "गुलशन"
08/10/2017
बीसलपुर/बरेली/मुज़फ्फरपुर
[10/8, 13:33] कौशल पाण्डेय आस: सूर घनाक्षरी
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सुख जाये सभी छिन,
कटे रात तारे गिन,
जीवन साथी के बिन,जीवन ये आग।।
करो नहीं कभी हट,
प्यार ये न जाय बंट,
जीवन साथी को रट,यही है सुहाग।।
झूम झूम गीत गाओ,
सखी पति को लुभाओ,
रखो सभी चौथ व्रत, यही अनुराग।।
प्यार पल पल बढ़े,
सती पति उर चढ़े,
आँख आँख आँख गड़े,होता तभी राग।।
कौशल कुमार पाण्डेय आस।
दिनांक~ 08 / 10/17|रविवार
[10/8, 15:58] कौ पाण्डेय आस: विषय~ जीवन साथी।
विधा ~ सूर घनाक्षरी।(4)
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पावन पवित्र रंग,
जीवन साथी के संग,
संबंध अंतरंग,छूट नहीं पाये।
प्रेम से बने है घर,
छल न फरेब कर,
मन में विश्वास धर,सदा मुस्कराये।
सजनी को ले के साथ,
प्रेम भरी करो बात,
जीवन साथी को यही,अपना बनाये।
सजनी को करे प्यार,
पति का ये अधिकार,
सजना को धिक्कार,मत तू सताये।
कौशल कुमार पाण्डेय आस,
8 अक्टूबर 2017/रविवार
[10/8, 15:58] कौशल पाण्डेय आस: सूर घनाक्षरी(3)
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सुख जाये सभी छिन,
कटे रात तारे गिन,
जीवन साथी के बिन,जीवन ये आग।।
करो नहीं कभी हट,
प्यार ये न जाय बंट,
जीवन साथी को रट,यही है सुहाग।।
झूम झूम गीत गाओ,
सखी पति को लुभाओ,
रखो सभी चौथ व्रत, यही अनुराग।।
प्यार पल पल बढ़े,
सती पति उर चढ़े,
आँख आँख आँख गड़े,होता तभी राग।।
कौशल कुमार पाण्डेय आस।
दिनांक~ 08 / 10/17|रविवार
[10/8, 15:59] कौशल पाण्डेय आस: विधा~ सूर घनाक्षरी(2)
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शुक्ल चतुर्दशी जब,
करवा चौथ हो तब,
सदा सुहागिन बने हम,सब यही चाहें।
जल फल सभी त्याग,
कर रहीं उपवास,
सेवा में वो लगी रहें,तज पति बांहें।
बना रहीं पकवान,
करवा का करें दान,
सांझ ढले चन्द्रमा की,ताक रहीं राहें।
चन्द्रमा का बालपन,
पूजें सब खुश मन,
बाद पतियों के संग,मिलाएं निगाहें।।
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कौशल कुमार पाण्डेय "आस"
7 अक्टूबर 2017 /शनिवार।
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[10/8, 16:00] कौशल पाण्डेय आस: ,(1)
विधा~ सूर घनाक्षरी (8,8,8,6)
चरणांत लघु / गुरु दोनों मान्य।
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खायें पियें कुछ न वो,
करक चतुर्थी हो जो,
पत्नियां नेहमय हो, पति उम्र माँगें।
पूज गौरीशंकर को,
वर लें भयंकर सों,
आरती उतार सभी, पति उम्र माँगें।
करवे को लिए हाथ,
सखियों के साथ साथ,
चलनी में देख चाँद, पति उम्र माँगें।
रखें सब उपवास,
सहती हैं भूख प्यास,
चाँद को चढ़ाय अर्घ, पति उम्र माँगें।
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कौशल कुमार पाण्डेय "आस"
7 अक्टूबर 2017/ शनिवार।
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[10/8, 16:34] कौशल पाण्डेय आस: सूर घनाक्षरी(5)
राम जी का रटो नाम,
बने तेरे सारे काम,
बीते हर शुभ शाम,सच बात मान।
राम जी ही कटे पाप,
हरे तेरा हर ताप,
करो नित प्रात जाप,सोओ नित तान।
जीवन ये अनमोल,
दिल रख अब खोल,
बनेगे सहाय प्रभु, इतना तू जान।
मिलेगा बड़ा सम्मान,
लाज रखें हनुमान,
राम जी को मानो प्राण,बने तू महान।
कौशल कुमार पाण्डेय आस
8अक्टूबर2017 // रविवार
[10/8, 17:06] सरस जियो:
सूर-घनाक्षरी
8,8,8,6वर्ण
अंत लघु गुरु|
सजते व सँवरते,
हँस-हँस निखरते |
बार-बार वार करें,
नैन चार करें||
सोहे मम नाम कर,
अधर गुलाब धर|
मोहे अँगड़ाई भर,
मनुहार करें||
साँझ घिर आयी मीत,
गाने लगी रात गीत|
सेज सजी मौन प्रीत,
अधिकार करें||
देख आज चाँद बीच,
साथी तेरी प्यास सींच|
जीवन को बाहों भींच,
हम प्यार करें||
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
दिलीप कुमार पाठक "सरस"
[10/8, 17:41] जागेश्वर निर्मल: विषय- जीवन साथी
विधा-सूरघनाक्षरी छंद
शिल्प-(8,8,8,6),30 वर्ण
चरणान्त में लघु गुरु दोनो मान्य
दीर्घ आयु प्राप्त करो
चारु स्वास्थ्य प्राप्त करो
पथ पुनीत प्राप्त करो
सदा मुसकाओ।
सुसाधना किया करो
श्रेय पथ चला करो
नेहघट भरा करो
पूरक हो जाओ।।
छांव बनो धूप माहिं
धूप बनो शीत माहिं
छत्र बनो वर्षा माहिं
चारुता बढाओ।
जहाँ भी रहो धर्म हो
प्रिय तुम्हें सुकर्म हो
सुज्ञात वेद मर्म हो
प्रेरणा कहाओ।।
जागेश्वर प्रसाद निर्मल
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