[10/31, 14:50] विवेक दुबे:
मैं - विवेक दुबे "निश्चल"
पिता-श्री बद्री प्रसाद दुबे"नेहदूत"
माता- स्व.श्रीमती मनोरमा देवी
निवासी-रायसेन (मध्य प्रदेश)
पता- द्वारा/ नरेंद्र मेडिकल स्टोर
पुराना बस स्टेंड
दुर्गा चौक - रायसेन
जिला-रायसेन
पिन-464551
उम्र-- 52 वर्ष
शिक्षा - बी.एस.सी. ऍम ए , आयुर्वेद रत्न
पेशा - दवा व्यवसाय
मोबाइल-- 07694060144
निर्दलीय प्रकाशन द्वारा बर्ष 2012 में "युवा सृजन धर्मिता अलंकरण" से
अलंकृत। बर्ष 2017।
जन चेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति पीलीभीत द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान से कई बार सम्मानित,
काव्य रंगोली ,अनुगूंज , कस्तूरी कंचन साहित्य पत्रिका एवं निर्दलीय साप्ताहिक
पत्र में रचनाओं का प्रकाशन।
कवि पिता श्री बद्री प्रसाद दुबे "नेहदूत" से
प्रेरणा पा कर कलम थामी।
यही शौक है बस फुरसत के पल ,
कलम के संग काम के साथ साथ ।
ब्लॉग भी लिखता हूँ
"निश्चल मन " नाम से
vivekdubyji.blogspot.com
[10/31, 14:50] विवेक दुबे:
फैला था दूर तलक वो,
कुछ बिखरा बिखरा सा ।
यादों का सामान लिए ,
कुछ चिथड़ा चिथड़ा सा ।
दूर निशा नभ में श्यामल सी ,
यादों के आंगन में काजल सी ।
बैठा आस लिए उजियारों की,
फिर नव प्रभात के तारों की ।
आएगा दिनकर फिर दमकेगा ।
नक्षत्र जगत में फिर चमकेगा ।
यह घोर निशा ही अंत नही ,
दिनकर तो कल फिर निकलेगा ।
....विवेक दुबे...©
ब्लॉग पोस्ट 28/9/17
[10/31, 14:51] विवेक दुबे:
🌻शपथ पत्र🌻
घोषणा-
मैं ये घोषणा करता / करती हूँ , कि पुस्तक " जय जय हिन्दी विशेषांक" में प्रकाशन हेतु भेजी गयी समस्त रचनाएं मेरे द्वारा लिखित हैं तथा जीवन परिचय में दी गई समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है , असत्य पाये जाने की दशा में हम स्वयं जिम्मेदार होंगे।
विवेक दुबे "निश्चल"
रायसेन (मध्य प्रदेश)
दिनांक- 31/10/2017
[10/31, 21:59] महेश अमन:
"वह दिन कैसा होगा"
एक दिन ऐसा आएगा,जब ऑक्सिजन का आखरी गुब्बारा भी
इंसानों के लिए फटने से मना कर देगा।
जब एक'आदम' बचेगा तब भी
एक बूंद हवा को वह तरसेगा।
पेड़ भी दूर हो जाएगा,अपनी छाया देने से
'आदम'तू तपेगा धूप की अगन से
बंजर धरती पूछेगी जलविहीन बादलों से,तुम कब बरसोगे
नपूंसक बादल विचलित होगा बरसने को
वह कोसेगा जलविहीन सागरों को
तब सूखे सागर को अपनी प्रियतमा,नदीधार याद आएगी
और नदी की आत्मा'बूंद'बादलों में ही पछताएगी
'आदम'तब तुझे भगवान(प्रकृति) की याद आएगी
भूमि,गगन,वायु,अग्नि,नीर पास ना होंगे तेरे
और तब प्रकृति करेगी आपातकाल की घोषणा
तब एक पेड़ पर समूची पृथ्वी समाएगी
सभी मानवों की ग़लती की सजा,आदम तुम पाओगे
तुम्हें मृत्युदंड नही,सिर्फ हवा,पानी के बिन रहने की सज़ा मिलेगी
तब सुप्रिम कोर्ट(प्रकृति)तुझे राहत की एक सांस भी ना देगा
अश्वत्थामा सा तू भटकेगा
सोंच वह दिन कैसा होगा??
महेश"अमन"
रंगकर्मी
[10/31, 22:09] महेश अमन:
परिचय
महेश"अमन"
निदेशक:-राष्ट्रीय नाट्य परिषद,(कार्यक्रम व योजना)
सदस्य:-नारायणी साहित्य अकादमी,जय-जय हिंदी,राष्ट्रीय कवि संगम(प्रवक्ता)
पिता:-स्व. दीनदयाल
माता:- स्व. भूलिया देवी
जन्मतिथि:-10/04/73
शिक्षा:-एम.ए.बी.एड्,डिप-इन-ड्रामा.स्नातक शास्त्रीय संगीत
पुरस्कार:-नाट्यश्री,रंगमित्र,
अनुभव:-देश के विभिन्न शहरों में 40 नाटकों का मंचन,
जन समस्यओं व राष्ट्रहीत पर नुकक्ड़ नाटक करना,
नाट्य विद्यालय का संचालन करना।
[10/31, 22:13] महेश अमन:
🌻मौलिकता प्रमाण पत्र🌻
घोषणा-
मैं ये घोषणा करता हूँ , कि पत्रिका " जय जय हिन्दी विशेषांक" में प्रकाशन हेतु भेजी गयी मेरी रचना स्वरचित,पूर्ण मौलिक व अभी तक अप्रकाशित हैं तथा जीवन परिचय में दी गई समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है , असत्य पाये जाने की दशा में हम स्वयं जिम्मेदार होंगे।
महेश"अमन"
रंगकर्मी
शीतलपुर
सिरसिया
गिरिडीह 815302
झारखंड
दिनांक-31/10/17
[10/31, 22:15] +91 94307 69022:
।।।।।।।।।।ग़ज़ल।।।।।।।।।।।
तिरी इन धड़कनों में खुद को' पाया करता हू,
मिलन की चाह में बातें बनाया करता हूँ,
यकीनन तैरने में आज माहिर हूँ लेकिन,
तिरी आँखों में' अक्सर डूब जाया करता हूँ,
मुहब्बत दूसरों को भी नहीं मुझ-सा कर दे,
तभी तो दास्तां अपनी सुनाया करता हूँ,
कभी मेरी वो' हो सकती नहीं, वाकिफ़ हूँ मैं,
मग़र फिर भी उसी पर हक़ जताया करता हूँ,
भुलाना तो बहुत चाहूँ मग़र मुमकिन कब है,
उसी की याद में खुद को भुलाया करता हूँ,
जहाँ हम बैठ दोनों गुनगुनाते थे अक्सर,
वहीं मैं बैठ तन्हा गुनगुनाया करता हूँ।।
रकीबों से हमेशा जीतने की आदत है,
फ़कत मैं दोस्तों से हार जाया करता हूँ,
ज़माना हरकतों पर मेरी' हँसता है "सैकत",
बुरी तकदीर पर खुद मुस्कुराया करता हूँ ।।
सैकत(3G)
[10/31, 22:15] +91 94307 69022: मैं सैकत कुमार माजी, सुपुत्र श्री बिमल चंद्र माजी व श्रीमती मिठु माजी;संत ज़ेवियर कॉलेज राँची में "बैंकिंग व इंश्योरैंस" का छात्र हूँ । मेरा जन्म 25 जून 1998 को देबाग्राम, धनबाद में हुआ ।।मैंने अपनी प्राथमिक शिक्षा टाटा डी.ए.वी विद्यालय से प्राप्त की।। बचपन में शान्त और ख़ामोश रहने वाले मुझ बालक में किशोरावस्था तक आते-आते भाषण और लेखनी के प्रति प्रेम जाग उठा जब मैंने महाकवि दुष्यंत कुमार को पढ़ा । भगवान से तोहफ़े में मिले भाषण व संचालन के इस कौशल के बूते कई बार मुझे मंच पर आने का और मेरी कविताओं और बातों को रखने का अवसर मिला और यही मेरी उपलब्धि है ।
[10/31, 22:15] +91 94307 69022: 🌻मौलिकता प्रमाण पत्र🌻
घोषणा-
मैं ये घोषणा करता / करती हूँ , कि पत्रिका " जय जय हिन्दी विशेषांक" में प्रकाशन हेतु भेजी गयी समस्त रचनाएं स्वरचित,पूर्ण मौलिक व अभी तक अप्रकाशित हैं तथा जीवन परिचय में दी गई समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है, असत्य पाये जाने की दशा में हम स्वयं जिम्मेदार रहूँगा।
सैकत माजी,रांची झारखण्ड
दिनांक-31/10/17
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