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रक्ता छंद (साहिल)


♤रक्ता छंद♤

विधान~ [रगण जगण गुरु]
( 212 121 2 ) 7 वर्ण, 4 चरण
[दो-दो चरण समतुकांत]

राम  जू  निहारिये।
ये  दशा  सुधारिये।।
नाथ  मैं  अधीन हूँ।
"सोम"दास दीन हूँ।।
       ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

       ♤रक्ता छंद
विधान~ [रगण जगण गुरु]
( 212 121 2 ) 7 वर्ण, 4 चरण
[दो-दो चरण समतुकांत]

धीर वीर  ही बनो|
पीर आन की सुनो|
आन बान  देश है|
ज्ञान ही विशेष है||

सोम जी महान है|
छंद ज्ञान शान है||
सीख ले सभी इसे|
बार बार ही घिसे|

  🙏साहिल🙏

[10/22, 2:51 PM] डाॅ• राहुल शुक्ल:  

     रक्ता छन्द

आज बात ये सिखो|
रोज रोज ही लिखो||
आन बान  छंद  है |
हिंद  शान  चंद  है||

छंद  चंद  रोज  हो |
ईश  वंद ओज  हो||
नेक  राह काज हो |
ढ़ोल ताल साज हो||

रोग शोक  दूर  हो|
प्रीत  जीत पूर  हो||
भावना  सुधीर  हो |
लोक हानि पीर हो|| 
  
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

[10/22, 3:44 PM] डाॅ• राहुल शुक्ल:
      
      ♤रक्ता छन्द♤

सोम देव देव है|
ये महान देव है||
देव  के सुरेश है|
शैव जी महेश हैं|

नाम ही सुखेश है|
काटते  कलेश हैं||
प्रेम भाव  लाइए|
मान मीत पाइए||

श्री हरी  सखा  कहे|
सोम  संग  ही  रहे||
नीतियाँ  समान हो|
शान्त रूप भान हो||

डाॅ• राहुल शुक्ल साहि

   रक्ता छन्द

छन्द देख लीजिए
आप देख लीजिए
आपकी कृपा रहे
नेह ये बना रहे|

दृष्टि  डाल दीजिए|
भाव सींच दीजिए||
नेक राह हो सदा|
गीत गान हो मुदा|| 

  साहिल

[10/22, 11:42 PM] डाॅ• राहुल शुक्ल: *♤रक्ता छंद♤*

विधान~ [रगण जगण गुरु]
( 212 121 2 ) 7 वर्ण, 4 चरण
[दो-दो चरण समतुकांत]

1]
धीर वीर  ही बनो|
पीर आन की सुनो|
आन बान  देश है|
ज्ञान ही विशेष है||

सोम जी महान है|
छंद ज्ञान शान है||
सीख ले सभी इसे|
बार बार ही घिसे|

2]
नैन तो  कुबेर है |
रैन  मीत  देर है ||
रोक लो समीर हो|
चाँदनी अधीर हो||

नेह  चाह  ही  मिले|
भाव से दया खिले||
प्रात रात  हो  रमा|
पात पात हो जमा||

मीत  हाथ  चाहिए|
नाथ साथ चाहिए||
शील को सराहना|
प्रीत  में  कराहना||

3]
छन्द देख लीजिए
आप देख लीजिए
आपकी कृपा रहे
नेह ये बना रहे|

दृष्टि डाल दीजिए|
भाव सींच दीजिए||
नेक राह हो सदा|
गीत गान हो मुदा||

4]।
सोम देव देव है|
ये महान देव है||
देव  के सुरेश है|
शैव जी महेश हैं|

नाम ही सुखेश है|
काटते  कलेश हैं||
प्रेम भाव  लाइए|
मान मीत पाइए||

श्री हरी सखा कहे|
सोम  संग  ही रहे||
नीतियाँ समान हो|
रौद रूप भान हो||

5]
आज बात ये सिखो|
रोज रोज ही लिखो||
आन बान  छंद  है |
हिंद  शान  चंद  है||

छंद  चंद  रोज  हो |
ईश  वंद ओज  हो||
नेक  राह काज हो |
ढ़ोल ताल साज हो||

रोग  शोक  दूर  हो|
प्रीत  जीत पूर  हो||
भावना  सुधीर  हो |
लोक हानि पीर हो||
 
©डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

[10/25, 8:24 AM] डाॅ• राहुल शुक्ल: चित्र आधारित~

     ♤रक्ता छन्द♤
विधान~  रगण जगण गुरु ~  7 वर्ण
 चार चरण दो - दो चरण समतुकान्त

सोम  देव  देव  हैं|
जानिए स्वमेव हैं||
देव  के  सुरेश  है|
शैव जी  महेश हैं||

नाम ही सुखेश है|
काटते  कलेश हैं||
प्रेम भाव  लाइए|
मान मीत पाइए||

श्री हरी  सखा कहे|
सोम  संग  ही  रहे||
नीतियाँ  समान हो|
शान्त चित्त भान हो||

      रक्ता छन्द
नैन  रैन  डार तो |
तू  मुझे निहार तो||
प्यार की फुहार हो|
फूल  की बहार हो||

चाँदनी  चकोर की|
रात बात जोर की||
नेह  से  पुकार  लो|
प्रेम  से  सँवार लो||

रोशनी  मिले   हमें|
साथ  रंग  ही  रमें||
रूपवान  है  वही |
शील गान है सही|| 

डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

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