[10/12, 22:49] मुकेश शर्मा जी:
♤ बृहत्य छंद ♤
विधान~
[ यगण यगण यगण]
(122 122 122)
9 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
सुनो राम जी साथ दे दो।
पड़े द्वार में हाथ दे दो।।
कहो कौन है नाथ मेरा।
कहाँ डालता आज डेरा।।
खड़ा ओम द्वारे बताओ।
पड़ी आपदा है बचाओ।।
बचा लाज लीला दिखाओ।
कहूँ मोक्ष मोहे दिलाओ।।
मुकेश शर्मा "ओम"
[10/13, 09:27] मुकेश शर्मा जी:
♢ बृहत्य छंद♢
विधान~ [यगण यगण यगण]
(122 122 122) 9 वर्ण, 4 चरण
[दो-दो चरण समतुकांत]
बड़ा स्नेह देखा यहाँ मैं।
कहाँ आप सारे कहाँ मैं।।१
नहीं छोड़ना साथ मेरा।
रहेगा यहीं नाथ डेरा।।२
रचें छंद लें नाम भोले।
यहाँ राम श्री राम बोलें।।३
तजें द्वेष को प्रीत पा लें।
भजेँ सोम जू गीत गा लें।।४
मुकेश शर्मा ओम
[10/13, 16:39] कौशल पाण्डेय आस:
बृहत्य छंद
शिल्प~ यगण ,यगण ,यगण ।
( 122 , 122 , 122 )
9वर्ण,4चरण,2-2समतुकांत]
भवानी करे क्रोध भारी।
चलीं शेर की ले सवारी।।
सभी को बड़ा ही सुहाता।
करें दुष्ट संहार माता।।
खड़े देव सारे सवाली।
भरी क्रोध में मात काली।।
नमो देवि बोलें मनायें।
खुशी से नमो गीत गायें।।
महाकाल को भी बुलाते।
महाकालिका को मनाते।।
नहीं शांत होती भवानी।
सुनो शुंभ की ये कहानी।।
पड़े युद्ध की भूमि जाके।
रुके थे तभी पाँव माँ के।।
दिखे थे महाकाल नीचे।
तभी मात ने पांव खीचे।।
कहानी बड़ी प्रेम वाली।
हुआ दुक्ख जिव्हा निकाली।।
घड़ी थी बड़ी ही निराली।
बनी मात काली कराली।।
कौशल कुमार पाण्डेय /"आस "
१३/१०/२०१७ - शुक्रवार।
[10/13, 17:15] जागेश्वर निर्मल: **********************
बृहत्य छंद
विधान
यगण यगण यगण
122 122 122
जपो ओम का नाम प्यारा।
बनाओ इसी को सहारा ।।
जमींऔर आकाश सारा।
दिखाता उसी का नजारा।।
जपो-----------'''''-----'''
हवा आ रही जा रही है।
नदी लोटती भा रही है।।
भरा नीर मीठा व खारा।
जपो--------''--------'''
प्रभा से भरे चाँद तारे।
खिले डाल में फूलप्यारे।।
हमें भी दिखा ना किनारा।
जपो--------''-'''''''
जागेश्वर प्रसाद निर्मल"
अजमेर ( राजस्थान)
*************************
बृहत्य छन्द
विधान- यगण यगण यगण =9वर्ण
चार चरण दो-दो समतुकान्त ।
अभी रेत गाड़ी अड़ी है ।
समस्या हमारी बड़ी है ।।
भरा आँख में नाथ पानी ।
सुनाऊँ किसे मैं कहानी ।।
सभी ने कहा आप दाता ।
चले आइयेगा विधाता ।।
किनारा बनो आप आके।
कृपा कीजिएगा बचा के।।
मुझे आपका ही सहारा ।
दया हो मिला दो किनारा ।।
कहीं साँस जो छूट जाये ।
कभी भी न ये लौट पाये ।
दया नाथ की हो सके जो ।
कृपा दास भी पा सके तो ।।
सदा आपका ही रहेगा ।
सभी कामनायें कहेगा।।
यही कामना है बिहारी।
रहूँ पूजता मैं मुरारी ।।
कभी तो कहीं काम आऊँ।
रमा को न मैं भूल जाऊँ ।।
बिजेन्द्र सिंह सरल
[10/14, 11:37] मुकेश शर्मा जी: 🌷🌷 गुरुदेव को नमन 🌷🌷
◆बृहत्य छंद◆
विधान~ [यगण यगण यगण]
(122 122 122) 9 वर्ण, 4 चरण
[दो-दो चरण समतुकांत]
सुनो नाथ लीजे परीक्षा।
कृपा आपकी है समीक्षा।।१
(सदा श्रेष्ठ कीजे समीक्षा)।।
करें दोष ये दूर सारे।
बनें छंद प्यारे हमारे।।२
कृपा है समीक्षा करें हैं।
हटा दोष मोती भरें हैं।।३
दिखावें हमें आप रास्ते।
चलें नाथ जू सत्य वास्ते।।४
मुकेश शर्मा ॐ
[10/14, 13:36] कौशल पाण्डेय आस: ♤बृहत्य छंद♤
विधान :~
(यगण - यगण - यगण)
122 , 122 , 122
9 वर्ण , 4 चरण ;दो-दो समतुकांत।
____________________
लगे श्याम वंशी बजाने।
हुए नंद बाबा दिवाने।।
कहें लाल आजा खिलाऊँ।
यशोदा नहीं मैं झुलाऊँ ।।
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कौशल कुमार पाण्डेय'आस'
14 अक्टूबर 2017\शनिवार।
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[10/14, 14:59] कौशल पाण्डेय आस: ♡ बृहत्य छंद♡
विषय ~ उन्नति के द्वार
रखो धैर्य मित्रों बढो़ तो।
चलो पर्वतों पे चढ़ो तो।।
सभी द्वार ऊँचे नहीं हैं।
फलें कर्म सारे यहीं हैं।।
उठा पाँव आगे बढ़ाओ।
सभी बेटियों को पढ़ाओ।।
तभी पार बेंडा तुम्हारा।
पढ़ी बेटियाँ हों सहारा।।
नहीं गर्भ में मार देना।
इन्हें हीय में धार लेना।।
इन्हें देश का मान जानो।
उजाला इन्हें आज मानो।।
कौशल कुमार पाण्डेय/आस
[10/14, 15:20] कौशल पाण्डेय आस: ♢बृहत्य छंद ♢
विधान :~
(यगण - यगण - यगण)
122 , 122 , 122
9 वर्ण , 4 चरण ;दो-दो समतुकांत।
____________________
खड़े श्याम वंशी बजाते।
खुशी नंद बाबा मनाते।।
कहें लाल आजा खिलाऊँ।
यशोदा नहीं मैं झुलाऊँ ।।
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कौशल कुमार पाण्डेय'आस'
14 अक्टूबर 2017\शनिवार।
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