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Showing posts from March, 2017

सुप्रभात

💐सुप्रभात💐                जय श्री कृष्ण दुख  में जो शुख पाना है, लो  प्रेरणा श्री  राम की। सहन सीलता क्या होती, तुम्हे  सिखाती जानकी।        जय श्री कृष्ण       इन्दु शर्म...

धनमयूर और हलमुखी छन्द

घनमयूर छंद 111 111 211 112 212 1 2 नवल मिलन की, मधुवन है  तू,मिली जुली।  हर पल मन की,  हलचल है  तू, नपी  तुली ।  सतगुण रवि की,विकिरण है तू, घुली मिली। सरल प्रखर सी,  नटखट है  तू, धुली खिली।।       डाॅ• ...

पृथ्वी संरक्षण

🌺  पृथ्वी संरक्षण 🌺   ☘🌳🌴🌿🌲🌱🎋 बहुत ही गम्भीर विषय है। पृथ्वी संरक्षण तो समझ में नही आया केवल ये समझ आया कि  हम जिस धरती पर रहते हैं, जिसकी जलवायु में रहते हैं, जिस प्रकृति क...

समय बड़ा बलवान

     समय बड़ा बलवान सब कुछ खो कर मिल जाता है, पर समय नही फिर आता है। हर क्षण की कीमत समझो, तन मन में सेहत भर लो। कर्म सकल सफल कर लो, हर कण में निष्ठा भर लो।   समय बड़ा अनमोल है, ऋषियो...

सवेरा और अहसास

    🌷 सवेरा 🌷 रोज सवेरा आता है, नव आशायें लाता है। सूरज की नव किरणों से, मन रोशन हो जाता है। गंगा की पावन धारा, तन को  मधुर बनाती है। नूतन प्रकाश की आभा, दिल में लहर उठाती है। फूल...

होली

🌺💐🌺💐🌺💐🌺💐              "होली" रंगो का त्योहार भी मनाये,   गुझिया मिठाई भी  खाये,  रंग भरा हो सुखमय जीवन, रंगो से तन मन जीवन सजाये।  गुलाल के रंग से मन सज जायेगा। प्यार मिले तो ज...

हलमुखी छन्द

           ◆हलमुखी छंद◆ [रगण नगण सगण] (212  111  112 ) [9 वर्ण, 4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत] छंद आज सब रचिये। नेह मोद मन नचिये।। भाव प्रेम मन कहिये। नंद धाम सब रहिये।। लोभ क्षोभ दुख हरिये। नेक रा...

हलमुखी छन्द

♦ हलमुखी छन्द♦ (रगण+नगण+सगण, ९ वर्ण, ४ चरण, दो-दो चरण समतुकान्त) 🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱 गेह  आप  सच कहिये | जानि साँच  पग रहिये || साथ जानि गुरु बढ़िये | बात  ज्ञात  मग बढ़िये || आजु कौन हम कहऊँ | ...

मंजुभाषिणी छन्द

◆मंजुभाषिणी छंद◆ [ सगण जगण सगण जगण+गुरु] (112  121  112  121 2)13 वर्ण, 4 चरण,दो-दो चरण समतुकांत मिटते जहान पर देवदूत हैं।  जननी पुकार सुनते सपूत हैं।।  प्रभु प्रेम से सुफल काज कीजिये। हित देश ...

समर्पण

समीक्षा माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी कल रात मेरे स्वप्न में आये बोले बेटा उभरते युवा साहित्यकार हो, कुछ भारत के प्रति समर्पण की, माँ भारती की गाथा पर को...

पंकजवाटिका छन्द/एकावली छन्द

          पंकजवाटिका / एकावली छन्द  सोहत नयन निखारत सूरत। मोहक बदन निहारत मूरत।। चंदन सरस सुगंध बिखेरत। वंदन सकल महेश उकेरत।।   डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

विशेष छन्दों के विधान

प्रिय मित्रों कुछ छंद विधान प्रस्तुत कर रहा हूँ,जिन्हें याद रखने में बड़ी आसानी होगी। 16 + 6 = 22 मात्रा का रास छंद, अंत 112 16 + 7 = 23 मात्रा का निश्चल छंद, अंत 21 16 + 9 = 25 मात्रा, गगनांगना छंद,अंत 212 16 +10 = 26 मात...

आ• भगत जी के चन्दन पर दोहे

उपस्थिति मात्र🙏~ ÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷÷ *चन्दन\टीका\तिलक* विधा~दोहा 🌱🌱🌱🌱🌱 १. *चन्दन* सी महके सदा, पूत  भौम  की रेत | समरभूमि जाते सजा, हँस-हँस होते खेत || २. माथे का *चन्दन* बना, राखहुँ पग...

आ• नित्यानंद पाण्डेय मधुर जी का व्यक्तित्व

श्री नित्यानंद पाण्डेय मधुर जी का व्यक्तित्व  क्षणिक सुख और लम्बे समय तक दुख मिलने वाले जीवन की डोर यदि कोई मन व भावनायें समझने वाला साथी थाम लें, तो जीवन पथ सुगम  हो जाता ह...

मोटनक छन्द

  मोटनक छन्द ♦ (तगण+जगण+जगण+लघु+गुरु, ११ वर्ण, ४ चरण, दो-दो चरण समतुकान्त) 🌱🌱🌱🌱🌱 गाते हम  कीरति को मन में | माथे  कर  चाहत  जीवन में || पायें फल भाँतिक ही गुरु तै | दायें शुभ कारज भी  क...

महाराणा प्रताप स्त्रोत

🍂🍂।।महाराणा प्रताप स्तोत्र। । 🍂 🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷 महाराणा श्रीरामपुत्रलववंशजे पन्द्रहसौचालीसईशवी है जन्मे सिसौदियाराजवंशपितृउदयसिंह मातारानीजीवतकँवर चितौड़राज...

वफा न करना

वफा न करना, वफा न करना, वफा न करना उस बेखबर से वफा न करना जान न पाती दिल की लगी को मचलते मन को मेरी पसन्द को उस बेखबर से वफा न करना कमसिन हसीना आँखें शराबी दिल की लगी में होती खराबी तड़पते मन को चमकते तन को उस बेखबर से वफा न करना वफा न करना, वफा न करना, वफा न करना। नजरें मिलाने को दिल चाहता है मैं भी प्यार करूं मेरा दिल चाहता है मिल जाय इक प्यारी सी, जिसके ख्वाबों में खो जाएँ आसमान की कोई परी से नजरें मिलाने को दिल चाहता है मीठी सी मुस्कान हो जिसकी बातों में खो जाएँ फूलों सी सुन्दर आँखों से नजरें मिलाने को दिल चाहता है। साहिल

शिव वन्दना

विषय ▪ इष्ट देव महादेव को समर्पित वन्दना रचियता ▪ डाॅ• राहुल शुक्ल'साहिल' मन में विचार उत्पन्न करने वाले की वन्दना हम करते हैं, •••••वन्दना हम करते हैं, वाणी में वचन उत्पन्न करने वाले की वन्दना हम करते हैं, •••••वन्दना हम करते हैं, इन्द्रियों में संयम उत्पन्न करने वाले की वन्दना हम करते हैं, •••••वन्दना हम करते हैं, श्रम में कर्म उत्पन्न करने वाले की वन्दना हम करते हैं, •••••वन्दना हम करते हैं। जीवों के देव की वन्दना हम करते हैं , असुरों के देव की वन्दना हम करते हैं , मानव के देव की वन्दना हम करते हैं , देवों के देव की वन्दना हम करते हैं । समय के देव की वन्दना हम करते हैं , प्रेम के देव की वन्दना हम करते हैं , कलियुग के देव की वन्दना हम करते हैं , हर युग के देव की वन्दना हम करते हैं । सत्य के देवता की वन्दना हम करते हैं सौन्दर्य के देवता की वन्दना हम करते हैं , शान्ति के देवता की वन्दना हम करते हैं , गणों के देवता की वन्दना हम करते हैं । विघ्नहर्ता की वन्दना हम करते हैं , जगतकर्ता की वन्दना हम करते हैं , मंगलकर्ता की वन्दना हम करते ह...

प्रसंग प्रेरणा

ॐ卐 प्रसंग प्रेरणा 卐ॐ एक बार एक आदमी गृहस्थ जीवन से परेशान होकर एक महात्मा जी के पास पहुंच गया। उनके सानिध्य में रहने लगा।उसने महात्मा जी से पूछा कि इतना दुख क्यों है गृहस्थ जीवन में मैंने तो किसी का दिल नही दुखाया और अपना कर्तव्य पालन करता रहा फिर भी परिवार जनों की अपेक्षाए मुझसे बढती गयी जो दुख का कारण बनती है। महात्मा जी ने सुन्दर उत्तर दिया, देखो भाई दुख तो सब जगह है और सुख भी सब जगह है बस हमें अपनी सोच बदलनी होती है, अपेक्षाए तो मानव जीवन में रहती ही है बस अनावश्यक नही होनी चाहिए गृहस्थ जीवन यही तो सिखाता है कि जिसमें हमें प्रेम है वह हमारी अपेक्षाओं औल जरूरतों के लिए बहुत परेशान न हो या हम भी उसकी मदद करें । दुख के बाद सुख तो आता ही है। काली रात के बाद प्रकाशवान सुबह आती ही है। प्रकृति के नियम सर्वोपरि है।तुम मेरे पास भी तो अपेक्षाओं से ही आये हो क्या परिवार जनों का प्रेम लगाव और अपेक्षायें आपके प्रति यहाँ आने से समाप्त हो गई, नही ? महात्मा जी की बात सुनकर उसको अपने परिवार की याद आने लगी और वह फिर से घर चला गया और खुशी से रहने लगा। धन्यवाद ...

परिचय डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

☆ परिचय ☆ नाम - डाॅ•राहुल शुक्ल पिता - श्री बुद्धि नारायण शुक्ल एवं माता - श्रीमती कान्ती शुक्ला शैक्षणिक योग्यता - स्नातक कला 2006 उ•प्र• राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय इला• व्यवसायिक योग्यता - बी•एच•एम•एस 2008 जीविजी विश्वविद्यालय ग्वालियर म•प्र• साहित्य प्रकाशन - 1-2 बार मासिक स्थानीय पत्रिकायों में, अनुज भ्राता ♧ ▪ मृदुल शुक्ल (एम बी ए) ▪ अतुल शुक्ल (नेत्र सहायक) ▪ उत्कर्ष शुक्ल (बी•टेक अन्तिम) बहन ♧ ▪ पूजा शुक्ला (पी•जी) विवाहित उद्देश्य - पिछड़े क्षेत्र एवं ग्रामीण व शहरी लोगों की चिकित्सकीय सेवा व उचित सलाह रूचि - वैज्ञानिक अध्यात्मवाद, हिन्दी साहित्य अध्ययन व लेखन, सर्वेक्षणात्मक भ्रमण आदि, पत्नी - कान्तिप्रभा शुक्ला शिक्षिका सन्तान - पुत्र (6वर्ष) अंशुल शुक्ल ☆卐वर्तमान संक्षिप्त कार्य विवरण 卐☆ संजीवनी वेलफेयर सोसायटी के मिशन हेल्दी इंडिया परियोजना को बढ़ाते हुये इलाहाबाद के 20 ब्लाकों में से 12 ब्लाकों , ...

बैरी

दिनांक - 12/08/2016  (शुक्रवार)      विषय - दुश्मन/ बैरी/ शत्रु    बैरी का भी हो कल्याण , ऐसा भाव हमें दें  माँ , अनजान पहचान बना लेवें , ऐसा मधुहास हमें दें  माँ , शत्रु भी  बनें  मित्र , ऐसी झं...

हिन्दी भाषा

हिन्दी भाषा हिन्द है हम हिन्दी से प्रेम होना चाहिए , कला ज्ञान विज्ञान का ज्ञाता, भाषा हमें बनाती है, नव प्रकाश की किरण है हिन्दी , आत्मोत्थान कराती है, देवभाषा माँ से प्रेम ह...

देशभक्ति

देशभक्ति का आज चलो गुणगान करें जिस देश जाति में जन्म लिया, उसका ही गुणगान करें जिस धरती पर जन्म लिया उस संस्कृति का सम्मान करें जिस धरती का अनाज है खाया उस समृद्धि का ध्यान रहे जिन गलियों में बड़े हुए उन रास्तों का संज्ञान रहें जिनके अनुभव से कदम बढ़ें उसका हमें अभिमान रहे बुरी नजर किन लोगों की उन लोगों पर भी ध्यान रहे घुसपैठियै सेंध वही लगाते हैं अन्न जहां का खाते है सेना की रक्षा गौरव का अभिमान रहे जिस देश में हमने जन्म लिया उसकी रक्षा का भान रहे मातृभूमि की शान रहे संस्कृति का उत्थान रहे देशभक्ति का आज चलो गुणगान करें।। साहिल

कन्या भ्रूण हत्या

29/04/2016 ✝कन्या भ्रूण हत्या/ महिला शोषण✝ बिन प्रकृति के इन्सान की कल्पना, तो ऐसी है जैसे बिन पानी की नदियाँ, बिन सूरज के ताप, बिन पौधों की हवायें, पुंकेसर के परागकण बनायें कलियाँ, कलियाँ पूछती सवाल एक बढ़िया , फूल बनकर सुन्दरता हम फैलाते, खुद खिलकर सबको हँसना सिखाते, किसने हक दिया उन बेदर्दो को, मैं कली हूँ तो क्या, फूल बनने का हक नही मुझे, बेवजह बिन कारण तोड़ेगा मुझे, खिलता देख उस माँ से अलग करेगा मुझे, जिन टहनियों में मुझे जन्म मिला, पूरी होती हर तमन्ना, अब शुरू होता जीवन ही खत्म हो जायेगा, कैसे बनेगी कली फिर फूल , फूल कैसे देगा दुनिया को फल, जब समाप्त होगा पहले ही जीवन, मेरे लिए क्या कोई नही ईश्वर, क्यूँ नही मिलती उनको सजा, जो खिलने से पहले ही करते हमें जुदा, सब जीवों में शक्ति होती एक समान, फिर क्यूँ इंसाफ होते असमान, कलियों के जैसे समाज में अत्याचार, बिन नारी के कैसा संसार, फिर क्यूँ होता अत्याचार, कलियाँ है पूछती प्रश्न हजार, पुरूषों के समाज में क्यूँ होता बलात्कार, बढ़ते अत्याचार, और भद्दा व्यवहार , कन्या भ्रूण हत्या कलियों की चीत्कार, गूंजती दहेज बलि की,करूण पुकार, प्रति...

भगत सिंह

सरदार भगत सिंह  जन्म: 27 सितम्बर, 1907  निधन: 23 मार्च, 1931 उपलब्धियां: भारत के क्रन्तिकारी आंदोलन को एक नई दिशा दी, पंजाब में क्रांति के सन्देश को फ़ैलाने के लिए नौजवान भारत सभा का गठन कि...

युवा अभिमान

22/07/2016            ♢ युवा अभिमान ♢ हिन्द देश के युवा तुम , संस्कृति के उत्थान हो , रोक कोई सकता न तुमको , तुम जीवन के सम्मान हो , क्यूं डरते हो क्यूं हटते हो , डगर भी तुमसे छोटी है , मान तुम...

योग का जीवन में महत्व

♢ योग का जीवन में महत्व ♢ जीवन की कठिन दिनचर्या, रोजगार में व्यस्त जन जन, जुड़ें अतिरिक्त प्रयोग जो दें, जीवन लाभ कहलायें योग । तन को रखें स्वस्थ, करें आसन प्राणयोग, मन को बनायें स्वच्छ, सीखें ध्यान योग । सनातन हमें सिखाता, तन मन धन से करें, मनोयोग हो सबका, कौशल है कर्मयोग । साहित्य ज्ञान विज्ञान का, गुण विशेष है इन्सान का, योग सुयोग बनाता है, मन आत्मा से जीवन का। डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

किस्मत

☆किस्मत / भाग्य☆ कलयुग के जीवन में, सुख दुख की कहानी, लोग समझे इसको, किस्मत की रवानी, लोगों से आशायें, जीवन से अपेक्षायें, छोटी छोटी आशा, मिल जायें मनमाफ़िक, तो अच्छी किस्मतवाला, न मिलें मन का तो, बुरी किस्मतवाला, बदली इंसा ने, किस्मत की परिभाषा, कर्म में समाहित , भाग्य की आशा, ईश्वर पर विश्वास, लगन के साथ, सच्चा परिश्रम ही, कर्म की परिभाषा, कर्मो से बनती, किस्मत सुहानी, मुसीबत से न डरें, तो जीवन अभिमानी, जनहित हो सब काम , कौशल से भरपूर, मिलें सुखों का धाम, कर्म का कौशल ही, योग कहलाये, गीता में बतलाये, योग से हमें , परमात्मा मिल जाये, सच्चा हो काम, दुख से न डरें, मन में हो विश्वास, तो किस्मत भी बदलें, चित्रगुप्त मन में, अंकित सब हिसाब, कर्मों का जोखा लेखा, शुभ कर्म ही बनायें, किस्मत की रेखा, कर्मो से बदल जायें, भौतिक सुखों को, समझे न किस्मत, शिखर पर पहुँचें, साहिल पर कदम, छूँ लें आसमान , मिलें आपके, स्वर्ग पर निशान, बनें हम सब का, जीवन आसान ।। डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल

कटते पेड़

जहाँ देखो हर ज गह बेजुबान पेड़ कट रहें, जहाँ देखो हर जगह, पशु पक्षी मर रहे, जहाँ देखो हर जगह, मकान बन रहे,  क्या होगा इस जहाँ का, इन्सान क्या करें । होती बन्द आँखें तो, बन्द कर लेत...