∆ मकरन्द छंद ∆
विधान~
[नगण यगण नगण यगण नगण नगण नगण नगण गुरु गुरु]
(111122, 111122, 11111111, 111122)
26 वर्ण, 4 चरण, यति 6,6,8,6,वर्णों पर
[दो-दो चरण समतुकांत]
अवध दुलारे, जगत सहारे,
पुनि पुनि प्रनवउँ,तव गुण गाऊँ।
सब विधि सेवा,करहहुँ देवा,
सकल जगत तज,पद रज पाऊँ।।
द्रवहुँ दयाला, परम कृपाला,
सुमिरिहुँ मन महुँ ,अति हरषाऊँ।
रहहुँ ससंकू,बड़ मति रंकू,
कहहुँ विमल जस,अनुदिन ध्याऊँ।।
~शैलेन्द्र खरे"सोम"
🌹 ∆ मकरन्द छंद ∆ 🌹
विधान~
[नगण यगण नगण यगण नगण नगण नगण नगण गुरु गुरु]
(111122, 111122, 11111111, 111122)
26 वर्ण, 4 चरण, यति 6,6,8,6,वर्णों पर
[दो-दो चरण समतुकांत]
प्रखर पुनीता,
सुगढ़ सुनीता,
पल पल सुरभित,
तुम सम नाही|
सब सुख पाऊँ,
सुरमय गाऊँ,
मधुरिम सरगम,
सुपरति राही||
तरकश नैना,
तड़पत रैना,
प्रतिपल हलचल
तन-मन डोले |
झिलमिल तारे,
रदपुट प्यारे,
हँसमुख रुचिकर,
वह प्रिय बोले||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
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