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माँ (साहिल १३/०५/२०१८)/ सरस

🤱  माँ  🤱

माँ ! माँ प्यार है, सहकार है
जीवन का आधार है|

माँ ! शक्ति है, भक्ति है,
मन की अभिव्यक्ति है,

माँ ! आस है, प्यास है,
प्रतिपल विकास है|

माँ ! जान है, पहचान है,
मेरा  जहान  है|

माँ ! हर्ष है, दर्श है,
हरती संघर्ष  है|

माँ ! धर्म है, कर्म हैं,
जीवन का मर्म है|

माँ ! प्रीत है, जीत है,
सुर है संगीत है|

माँ ! गोद है, मोद है,
सुख है प्रमोद है|

माँ ! ममता है, समता है,
सोच की  सुगमता है|

माँ ! विचार है, सार है,
सेवा और सत्कार है|

माँ ! साँस है, खाश है,
तम में  उजास है|

माँ ! नैन है, रैन है,
सुकून है चैन है|

माँ ! भोर है, जोर है,
रिश्तों की डोर है|

माँ ! गान है, शान है,
प्रभु का वरदान है|

माँ ! मान है, सम्मान है,
भू का भगवान है|

डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

सभी माताओं को समर्पित मेरी अभिव्यक्ति पर अपनी टिप्पणियाँ अवश्य दें|
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🌹  भुजंगी छंद  🌹

विधान~
[यगण यगण यगण+लघु गुरु]
( 122  122 122 12
11वर्ण,,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]

मुझे भी  सहारा जरा  दीजिए|
कृपा का कटोरा भरा कीजिए||
बसी  हो  हमारे  हिया में सदा|
दिखे दिव्य बाती दिया में सदा||

धरा धीर सी धन्य माता मिली|
जपू माँ दया दान दाता मिली||
सहे  पीर  सारे   कुहासा घना|
उसी मौसमों में पला मैं बना||

डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

                 भुजंगी छन्द
विधान- यगण यगण यगण लघु गुरु,
11 वर्ण  चार चरण दो- दो चरण समतुकान्त
               माँ 

हमारी तुम्हारी कहानी बनी|
उसी ने सदा नेहश्रद्धा जनी||
वही है हँसी सर्व पूजा वही|
वही है हवा सोमधारा मही||

वही शक्ति है भक्ति बोती वही|
वही युक्ति है दिव्य जोती वही||
पुरानी कहानी परी है वही|
वही कृष्ण माता खिलाती दही||

यशोदा कहे लाल भूखा हुआ|
चला आ रहा कृष्ण सूखा हुआ||
मथूँगी दही लाल नैनी चखो|
थके आ रहे घूम वंशी रखो||

चलो आ नहा लो बड़ी धूप है|
सजाया कन्हैया लला भूप है||
नहीं मात जैसा मिला है कभी|
सदा शीश पैरों झुकाते सभी||

वही सृष्टि दात्री विधात्री वही|
सभी सार झूठा वही है सही||
वही एक सौम्या विचारी बनी|
लला दर्श पाने को हारी धनी||

🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊
©दिलीप कुमार पाठक "सरस"

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