🤱 माँ 🤱
माँ ! माँ प्यार है, सहकार है
जीवन का आधार है|
माँ ! शक्ति है, भक्ति है,
मन की अभिव्यक्ति है,
माँ ! आस है, प्यास है,
प्रतिपल विकास है|
माँ ! जान है, पहचान है,
मेरा जहान है|
माँ ! हर्ष है, दर्श है,
हरती संघर्ष है|
माँ ! धर्म है, कर्म हैं,
जीवन का मर्म है|
माँ ! प्रीत है, जीत है,
सुर है संगीत है|
माँ ! गोद है, मोद है,
सुख है प्रमोद है|
माँ ! ममता है, समता है,
सोच की सुगमता है|
माँ ! विचार है, सार है,
सेवा और सत्कार है|
माँ ! साँस है, खाश है,
तम में उजास है|
माँ ! नैन है, रैन है,
सुकून है चैन है|
माँ ! भोर है, जोर है,
रिश्तों की डोर है|
माँ ! गान है, शान है,
प्रभु का वरदान है|
माँ ! मान है, सम्मान है,
भू का भगवान है|
डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
सभी माताओं को समर्पित मेरी अभिव्यक्ति पर अपनी टिप्पणियाँ अवश्य दें|
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🌹 भुजंगी छंद 🌹
विधान~
[यगण यगण यगण+लघु गुरु]
( 122 122 122 12
11वर्ण,,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]
मुझे भी सहारा जरा दीजिए|
कृपा का कटोरा भरा कीजिए||
बसी हो हमारे हिया में सदा|
दिखे दिव्य बाती दिया में सदा||
धरा धीर सी धन्य माता मिली|
जपू माँ दया दान दाता मिली||
सहे पीर सारे कुहासा घना|
उसी मौसमों में पला मैं बना||
डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
भुजंगी छन्द
विधान- यगण यगण यगण लघु गुरु,
11 वर्ण चार चरण दो- दो चरण समतुकान्त
माँ
हमारी तुम्हारी कहानी बनी|
उसी ने सदा नेहश्रद्धा जनी||
वही है हँसी सर्व पूजा वही|
वही है हवा सोमधारा मही||
वही शक्ति है भक्ति बोती वही|
वही युक्ति है दिव्य जोती वही||
पुरानी कहानी परी है वही|
वही कृष्ण माता खिलाती दही||
यशोदा कहे लाल भूखा हुआ|
चला आ रहा कृष्ण सूखा हुआ||
मथूँगी दही लाल नैनी चखो|
थके आ रहे घूम वंशी रखो||
चलो आ नहा लो बड़ी धूप है|
सजाया कन्हैया लला भूप है||
नहीं मात जैसा मिला है कभी|
सदा शीश पैरों झुकाते सभी||
वही सृष्टि दात्री विधात्री वही|
सभी सार झूठा वही है सही||
वही एक सौम्या विचारी बनी|
लला दर्श पाने को हारी धनी||
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©दिलीप कुमार पाठक "सरस"
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