🌷 चम्पकमाला छंद 🌷
विधान~ [भगण मगण सगण+गुरु]
( 211 222 112 2 )
10 वर्ण, 4 चरण [दो-दो चरण समतुकांत]
मोद मनाओ गीत सुनाओ|
प्रीत जगाओ रीत बनाओ||
चंचल तारा मंद किनारा|
तू जग में है प्रेम सहारा||
मोहक प्यारी सूरत न्यारी|
लोचन सोहे सुंदर नारी||
पावन गंगा सा तन तेरा|
जीवन सारा रैन बसेरा||
सोहत है प्यारी धुन धारा|
पायल से बाजै पग तारा||
भाल सजाऊँ चंदन तेरे|
ईश पुकारूँ नित्य सवेरे||
© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
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