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भालचन्द्र छन्द (साहिल/सोम/ सरस)

         🌹भालचंद्र छन्द 🌹
विधान~~~
जगण रगण जगण रगण जगण + गुरु लघु
१२१,२१२,१२१,२१२,१२१,२१

सुनो पुकार सारथी  सुवास आस हो विकास|
मिले सुभाष कामिनी सुप्रीत रास मीत प्यास||
सजे  सुहास  रागिनी  बजे सितार तार- तार|
हिया  सुमेर  चाहता  करूँ  सुधार बार- बार||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

          भालचंद्र छंद
[जगण रगण जगण रगण जगण+गुरु लघु]
(121  212 121  212  121 21)
17 वर्ण,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत।

चलो  सुजान  राह  में   सदैव   कष्ट  हैं अपार।
थको  नही  करो  प्रयत्न  राह खोज बार बार।।
बढ़ो   सदा  उमंग   से  नवीन  साधना प्रयास।
छिपा समीप लक्ष्य है,निहार"सोम"आस पास।।

                                  ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

       🔶भालचंद्र छन्द🔶
विधान~~~
जगण रगण जगण रगण जगण+गुरु लघु
१२१,२१२,१२१,२१२,१२१,२१

सजा वितान सा विधान भालचन्द्र छंद गान|

कृपा निधान सोम ओम दिव्यदृष्टि के समान ||

बने प्रमाण भावसाम्य शब्द ज्ञान पाग पाग|

निखार  को निहार नैन हो सदा  नवीन राग|| 

🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊
©दिलीप कुमार पाठक "सरस"

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