इन्दवज्रा -छंद
शिल्प~समवर्ण, चार चरण,
प्रत्येक चरण में दो तगण एक जगण
और अन्त में दो गुरु /११ वर्ण
( 221 221 121 22 )
बातें बनाना मन चाहता है|
वादे निभाना तन चाहता है||
मेरी कहानी सब जानते हैं|
तारा सुहानी सुख मानते हैं||
बंशी वही कारण ढूँढती हैं|
धारा सही तारन ढूँढती हैं||
प्रेमी पुराना सुर साधता है|
साथी लुभानी लय बाँधता है||
डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
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