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भक्ति छन्द/भुजंगी छन्द ('साहिल')

       भुजंगी छंद

विधान~
[यगण यगण यगण+लघु गुरु]
( 122  122 122 12
11वर्ण,,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत]

मुझे भी  सहारा दिखेगा  सदा|
वही प्यार माँ का मिलेगा सदा||
बसी  हो   हमारे हिया में सदा|
दिखे दिव्य बाती दिया में सदा||

धरा धीर सी धन्य माता मिली|
जपू माँ दया दान दाता मिली||
सहे  पीर  सारे   कुहासा घना|
उसी मौसमों में पला मैं बना||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

सरस सरल साहिल सजे, सुंदर सुख सम्मान|
आस भगत अरु सोम से, प्रीत  बढ़ाते गान||   

प्रीत रीत है प्रेम की, प्रीत  दिलाती जीत |
प्रीत बिना काया लगे, बिन साजों का गीत|| 

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'
          🙏जय जय 🙏

    भक्ति छंद
221  122  2
7 वर्ण  4 चरण

फेरे  हम  ना  लेगें|
कोई दुख ना देगें||
शादी बिन वो मेरी|
ना  चाहूँ पल देरी||

तारा सम  है  पूजा|
साथी मम ना दूजा||
साजूँ सुख मैं संगी|
पाऊँ जग ना तंगी||

तारा जब से आयी|
गंगा  लहरें  छायी||
शक्ति वह  है नारी|
भक्तिमय है भारी||

राही  उसको  मानूँ|
सारी प्रतिभा जानूँ||
बंशी धुन सी बातें|
भाएँ सजनी  रातें||

© डॉ० राहुल शुक्ल 'साहिल'

        भुजंगी छन्द
विधान- यगण यगण यगण लघु गुरु =11 वर्ण  चार चरण दो- दो चरण समतुकान्त ।

             माँ

हमारी तुम्हारी कहानी बनी|
उसी ने सदा नेहश्रद्धा जनी||
वही है हँसी सर्व पूजा वही|
वही है हवा सोमधारा मही||

वही शक्ति है भक्ति बोती वही|
वही युक्ति है दिव्य जोती वही||
पुरानी कहानी परी है वही|
वही कृष्ण माता खिलाती दही||

यशोदा कहे लाल भूखा हुआ|
चला आ रहा कृष्ण सूखा हुआ||
मथूँगी दही लाल नैनी चखो|
थके आ रहे घूम वंशी रखो||

चलो आ नहा लो बड़ी धूप है|
सजाया कन्हैया लला भूप है||
नहीं मात जैसा मिला है कभी|
सदा शीश पैरों झुकाते सभी||

वही सृष्टि दात्री विधात्री वही|
सभी सार झूठा वही है सही||
वही एक सौम्या विचारी बनी|
लला दर्श पाने को हारी धनी||

🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊🖊
©दिलीप कुमार पाठक "सरस"

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