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परमादरणीय छन्दर्षि सोमगुरुवर्य जन्मोत्सवस्य सर्मपणम्
♦ रसाल छन्द♦
(भगण+नगण+जगण+भगण+जगण+जगण+लघु, ९-१० पर यतिपूर्वक १९ वर्ण प्रति चरण से चार चरण, २-२ चरण समतुकान्त)
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सोम सुखद गुण धाम, छन्द सब आपहुँ जीवत |
शीश वरद मन काम, पूर्ण तब सोमहि पीवत ||
शील सरल सुख कार, वास सबके मन आकर |
धन्य भगत बड़ भाग, आप गुरु मोर सुधाकर ||
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© भगत
~ सरस जी ~
आ0 सोम दादा के जन्मदिन पर मेरे हृदय के उद्गार सादर आपके लिए~~🌹🙏🏻🌹
🌹🌹 गीत 🌹
आप क्या हैं मेरे, आपको क्या पता?
भाव की हो कनी,साहित्य-संजीवनी।।
ज़िन्दगी हैं मेरी, रु़ह की प्यास हैं।
श्वाँस प्रश्वाँस का,आप विश्वास हैं।।
आपसे ही हृदय की,ये धरा पावनी।
आप क्या मेरे,आपको क्या पता?
जो नज़र में सजे,नैन में आ बसे।
फूल खिलने लगे,आप जब-जब हँसे।।
आपसे जब मिले,हो गये हम धनी।
आप क्या हैं मेरे,आपको क्या पता?
गीत भी छंद भी,है गज़ल आपसे।
गंध लेता सदा,हर कमल आपसे।।
सोम साहित्य की,छंद बगिया घनी।।
आप क्या है मेरे,आपको क्या पता?
हर तरफ देखता,एक तेरी छटा।।
धड़कनों ने रटा,जो कभी न घटा।।
आप से ही "सरस",जिन्दगानी बनी।।
आप क्या हैं मेरे,आपको क्या पता?
भाव की हो कनी,साहित्य-संजीवनी।।
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दिलीप कुमार पाठक "सरस"
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