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मेरे लिए बधाई, आ• कैलाश जी द्वारा


आद0 साहिल जी उत्तम रचना है आपकी "मन पर तमाचा"
सच में आज की राज व्यवस्था, नारी चित्कार, गरीबी, फूहड़ गानें, गंदे चित्र यह सब हमारे मन पर तमाचा नहीं तो और क्या है। आद0 आपने अपनी रचना के माध्यम से सोई आत्मा को जगाने का उत्तम प्रयास किया है। सच को उघाड़ती रचना। नमन आपकी लेखनी को
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आद0 साहिल जी माँ की ममता के साये में बीते अनमोल पल,
माँ की अंगुली पकड़कर बिताये अनमोल पल,
बचपन की याद दिलाती सुंदर भावपूर्ण रचना। बधाई हो।
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      भूख

भूख क्या है
भूख के लिए संघर्ष
गरीबी की तस्वीर
एवं
भूख का एहसास करती उत्तम मार्मिक रचना। जो सहज ही आपके गरीबों के प्रति प्रेम को उजागर करती है। उत्तम भाव। नमन आपकी सोच को।

           "रिश्ते"

आद0 दुखती रग पर आपने हाथ रख दिया अपनी इस रचना में
ये पंक्तियाँ देखिये
भूल गये सब रिश्ते नाते,
इतना व्यस्त हुआ जीवन।
सच कितना व्यस्त जीवन हो गया।
आगे देखिये
मधुर मिलन की बरसते,
मित प्रीत का वन्दन है।
सच में वंदनीय है वे लोग जो रिश्तों को निभाते है। उत्तम भाव रिश्तों में दूर हुए साथियों की याद दिलाती रचना। बधाई हो।
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       "क्षमा" 

वाह अति उच्च भाव को समेटे क्षमा का भाव जगती रचना।
एक एक पंक्ति अनमोल है सिर्फ इसे जीवन में अपनाना है।
इस गुण को अपनाने वाला व्यक्ति मनुज नही देव कहलाता है।
उत्तम देवत्व का भाव जगती रचना। वंदन आपके भावों को नमन आपकी लेखनी को आद0 साहिल जी।
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समय बड़ा बलवान
समय की महता को प्रतिपादित करती रचना।
सब कुछ खोकर मिल जाता है,
पर समय नही फिर आता है।
लाजवाब रचना बधाई हो
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कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही है ५. ओष्ठ~ ये जानते ही हैं   ६. कंठतालु~ कंठ व तालु एक साथ ७. कंठौष्ठ~ कंठ व ओष्ठ ८. दन्तौष्ठ ~ दाँत व ओष्ठ अब क्रमश: ~ १. कंठ ~ अ-आ, क वर्ग (क, ख, ग, घ, ङ), अ: (विसर्ग) , ह = कुल ९ (नौ) वर्ण कंठ से बोले जाते हैं | २. तालु ~ इ-ई, च वर्ग (च, छ, ज, झ, ञ) य, श = ९ (नौ) वर्ण ३. मूर्धा ~ ऋ, ट वर्ग (ट, ठ, ड, ढ, ण), र , ष =८ (आठ) वर्ण ४. दन्त ~ त वर्ग (त, थ, द, ध, न) ल, स = ७ (सात) वर्ण ५. ओष्ठ ~ उ-ऊ, प वर्ग (प, फ, ब, भ, म)  =७ (सात) वर्ण ६. कंठतालु ~ ए-ऐ = २ (दो) वर्ण ७. कंठौष्ठ ~ ओ-औ = २ (दो) वर्ण ८. दंतौष्ठ ~ व = १ (एक) वर्ण इस प्रकार ये (४५) पैंतालीस वर्ण हुए ~ कंठ -९+ तालु-९+मूर्धा-८, दन्त-७+ओष्ठ-७+ कंठतालु-२+कंठौष्ठ-२+दंतौष्ठ-१= ४५ (पैंतालीस) और सभी वर्गों (क, च, ट, त, प की लाईन) के पंचम वर्ण तो ऊपर की गणना में आ गए और *ये ही पंचम हल् (आधे) होने पर👇* नासिका\अनुस्वार वर्ण ~

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