आज रौ दुस्साहस (भगत)

🌹🙏🕉 नित्य नमन 🕉🙏🌹
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मन बच  करमनि  पूत कर, रख  सन्मारग ध्यान |
सदा करहिं हित हरिअ तब, मिलहिं मान सम्मान ||

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आज रौ दुस्साहस~
बेगा-बेगा  पग  उठा, मायड़ खातर ठाठ |
म्है जीवां कै मर रवाँ, मायड़ मुळकै साठ ||

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अंधी   पीसे    कुत्ता   खाये, बालाजी |
ताकतवर ही जग सुख पाये, बालाजी |
रहा सदा  ही  भाग  फूटता निर्बल का,
निबलों  के  ईश्वर अब आये, बालाजी ||

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©भगत

🕉🌿🙏  नित्य नमन  🙏🌿🕉
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निज पर का सब भेद तज, समझ सकल हरि मान |
हरि तब दीखहि नयन भर, खग - मृग   नाना  धान ||

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आज रौ दुस्साहस~
म्है मायड़ का लाड़ला, मायड़ म्हाँकी आस |
दौन्यूँ  जीवाँ  एक  सा, फूलां  मै  ज्यूँ  बास ||

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जीव  जगत   की   चिन्ता  राखो, बालाजी |
शुभ  कर्मों  का  ही  फल  चाखो, बालाजी |
केवल निज हित सोच अशुभ कारे जो हम,
निश्चित  शेष   कुयश   हो  आखो, बालाजी ||

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© भगत

🍁🕉🙏  नित्य नमन  🙏🕉🍁
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नेह गहा प्रभु आपका, रटा नाम जब राम |
बिनु   कारे  पूरे  हुये, आपुहि सिगरे काम ||

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आज रौ दुस्साहस~
मायड़ माँगे भाव बस, कदै न माँगे प्राण |
चावै  केवल  प्रेम स्यूँ, पूरित साँची काण ||

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मंथन  में  चौदह   नग  पाये, बालाजी |
सारे    हैं   अद्भुतता    लाये, बालाजी |
सार गहूँ चौदह से कण तृण जोड़ रहूँ,
यह पाथर  आभा  बस दाये, बालाजी ||

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©भगत

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