Skip to main content

साहिल दोहे

(1)

सरस भगत सब गढ़ रहें, सोम  जन्म का मान। 
सागर सम ज्ञानी अहै,  गुरुवर नमन महान।।
 

(2)         

जान जान कर बन रहें, बेहतर कलमकार।
भाव हृदय से रच रहें, इस जीवन का सार।।
   

(3)

राहुल साहिल लय सधी, गुरुव भगत वरदान।
पुण्य कर्म से मिलत हैं, जीवन में गुरुज्ञान।।

   
(4)

पाप पुण्य न जान सके, करम सकल है काम।
धरम मान मन कर रहा, गुरु का  पथ है धाम।।

       डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
                जय जय🏻

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...