परम पूज्यनीय गुरुदेव के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर उनके चरणों में कुछ पंक्तियाँ :-
शुभकामनाएँ गुरु सोम जी ।
दे रहा शिष्य यह ओम जी।।
छ्न्द सिखाएँ कठोरता से।
किन्तु हृदय के हैं मोम जी।।
आप मिले सदगुरु-रूप में।
पुलकित है रोम - रोम जी।।
गुण लिखने में धरा क्या।
कम पड़ जाए व्योम जी।।
मुकेश शर्मा ॐ
-----------------------------------------------
◆ रसाल छंद ◆
विधान~
[भगण नगण जगण भगण जगण जगण+लघु]
(211 111 121, 211 121 121 1)
19 वर्ण , 9 ,10 वर्णों पर यति ,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत।
है जनम दिवस आज, सोम गुरु देव मुबारक।
छंद गुरु अति महान, ज्ञान गुणवान विचारक।।
है हृदय अति विशाल, भूल पर होय निवारक।
हे प्रभु सुन यह अर्ज, हों गुरु सदैव विनायक।।
मुकेश शर्मा ॐ
-----------------------------------------------
◆ गीतिका छंद ◆
विधान~
[सगण जगण जगण भगण रगण सगण+लघु गुरु]
(112 121 121 2, 11 212 112 12)
20वर्ण, 10-10 वर्णों पर यति, 4 चरण,दो-दो चरण समतुकांत।
अपने गुरु बस सोम जी,
गुणवान हैं सब जानते।
जब भी महान कहूँ तभी,
यह बात वे नहिँ मानते।।
महिमा कही नहिँ जाय है,
करते वही जब ठानते।
यह शुक्र है कि मिले हमें,
नहिँ खाक ही हम छानते।।
मुकेश शर्मा ॐ
-----------------------------------------------
विधा - शुद्ध गीता छंद
विधान - प्रति चरण में 27 मात्राएँ, 14,13 मात्रा पर यति, आदि में 21 तथा 3,10,17,24,27वीं मात्राएँ लघु,4चरण, 2-2 चरण समतुकांत।
(2 1 2 2 2122, 2122 2121)
ज्ञान-ज्ञाता सोम जी हैं, मानता हूँ मैं महान।
छ्न्द की गंगा बहाते, साथ देते हैं विधान।।
ज्ञान का भंडार हैं ये, भूल का देते निदान।
हाथ जोड़ूँ और बोलूँ, नित्य कीजे सोमपान।।
मुकेश शर्मा ॐ
🌸🌺🌷🌻💐
______________________________
◆पदम छंद◆
शिल्प~
[नगण सगण लघु गुरु]
(111 112 1 2)
8 वर्ण प्रति चरण,4,4 यति,
4 चरण,2-2 चरण स्मतुकांत।
नमन गुरु सोम जी ।
लगन शुरु ओम जी।।
नित नवल ज्ञान दें।
प्रिय समझ ध्यान दें।।
सफल कर दीजिये।
तमस हर लीजिये।।
चरण पड़ता सुनो।
हरहुँ जड़ता सुनो।।
मुकेश शर्मा ॐ
Comments
Post a Comment