🙏🍁🕉 नित्य नमन 🕉🍁🙏
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सतत चरण हरि शरण नित, बढ़त त्याग जग जाल |
सहज सरस अरु सरल तब, मिलहि चरण हर हाल ||
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आज रौ दुस्साहस~
मायड़ कौ क्यूँ एक दन, मायड़ आठाँ याम |
देखा - देखी सुण करे, मूरख मनवा काम ||
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देखो कैसे दिन है आये, बालाजी |
माँ का भी हम दिवस मनाये, बालाजी |
पश्चिम में परिवार नहीं यूँ मनते हैं,
विविध दिवस हम समझ न पाये, बालाजी ||
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© भगत
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