[1] 卐 विजोहा छंद 卐
विधान~
[रगण रगण ]
(212 212)
6वर्ण,4 चरण,
दो-दो चरण समतुकांत]
चाह की लेखनी।
राह की लेखनी ।
बात की लेखनी ।
साथ की लेखनी
बोलती लेखनी।
भाव की लेखनी।।
सार हो लेखनी।
धार हो लेखनी।।
याद की लेखनी।
गूँजती लेखनी।।
ताल है लेखनी।
काल है लेखनी।।
ओम के जाप से।
दूर हों पाप से।।
ओज भी लेखनी।
सोम की लेखनी।।
✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
[2] 卐 विजोहा छंद 卐
बीतती रात है।
प्रेम की बात है।।
रीत है जीत की।
प्रीत है मीत की।।
बोल हैं नेह के।
मोल है मेल के।।
खेल है वेश का।
लेख हो देश का।।
✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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