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सूर घनाक्षरी

◆ सूर घनाक्षरी ◆

शिल्प~(8,8,8,6 वर्ण चरणान्त में लघु या गुरु दोनों मान्य)

केशरी के नंदन जू,
    हे जगत वंदन जू,
       दानव  निकंदन जू ,अंजनी लाल जू।
बल बुद्धि के निधान,
   सकल गुणोंकी खान,
       महावीर बलवान,कालोंके काल जू।।
बीर बली रामदूत,
   हनुमान वायुपूत,
     अंजनेय विपदा को,नाशौ तत्काल जू।
आपके सेवों चरण,
    संकट करो हरण,
      पड़ा है सोम शरण,कीजे निहाल जू।।

                       ~शैलेन्द्र खरे"सोम"

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