ष की संधि
पहला नियम ~
परि के पीछे क आवे तो,
चमत्कार फिर से होता,
दोनों शब्द यथावत रहते,
बीच में हल् षटकोण होता।
अर्थात् ~
परि + क = बीच में हल् षटकोण ष का आगम होगा।
परि + क = क से पूर्व हल *ष्* षट्कोण
जैसे~
परि+कार
|
ष्
परिष्कार
उदाहरण ~
संधि-विच्छेद करें~
१. परिष्करण = परि + करण
२. परिष्कारक = परि + कारक
३. परिष्कृति = परि + कृति
संधि-पद,बनाएँ~~~
१. परि + कार्य = परिष्कार्य
२. परि + काम = परिष्काम
३. परि + कारित= परिष्कारित
दूसरा नियम ~
हल षट्कोण के ष् के पीछे, त/थ/न जो आ जावे |
त/थ/न फिर षट्कोण ष् संग, ष्ट/ष्ठ/ष्ण हो जावे ||
अर्थात~
ष् + त = ष्ट
ष् + थ = ष्ठ
ष् + न = ष्ण
उदाहरण ~
संधि विच्छेद करें~
१. तृष्णा = तृष् + ना
२. पृष्ठ = पृष् + थ
३. उत्कृष्ट = उत्कृष् + त
संधि-पद बनाएँ~
१. उत्कृष् + थ = उत्कृष्ठ
२. पृष् + त = पृष्ट
३. सहिष्+ नु = सहिष्णु
🙏🏻जय जय 🙏🏻
व्यंजन संधि का अंतिम नियम
इ/उ/ए स्वरान्त का योग जो स्थ/स्न से हो जाय |
स्थ का ष्ठ हो जाता अरु, स्न का ष्ण हो जाय ||
अर्थात् ~
इ/उ/ए + स्थ = स्थ का ष्ठ
इ/उ/ए + स्न = स्न का ष्ण
जैसे~
प्रति+स्थान = प्रतिष्ठान
अनु+स्थान = अनुष्ठान
वै+स्नव = वैष्णव
विसर्ग सन्धि ~
अर्थात् ~
: + स्वर = विसर्ग संधि
: + व्यंजन = विसर्ग संधि
पहला नियम ~
विसर्ग पूर्व में स्वर अ हो पीछे य ,र ,व और ह हो
या वर्ण वर्ग का 3 से 5 हो तो विसर्ग युत अ का ओ हो।
उदाहरण देंखे ~
मन: +रथ
अ:+र
|
अ: को ओ तो मनोरथ हुआ।
और उदाहरण~
अधोहस्ताक्षर = अधः + हस्ताक्षर
यशोदा = यशः + दा
मनोभाव = मनः + भाव
सरोरूह = सरः + रूह
पयोहारी = पयः + हारी
रजोगुण = रजः+ गुण
तिरोभाव = तिरः + भाव
मनोयोग = मनः + योग
वयोवृद्ध = वयः + वृद्ध
धनोमान = धनः + मान
पुरोवाच = पुरः + वाच
कुछ संधि-पद ~
१. मन:+ रोग = मनोरोग
२. सत:+ गुण = सतोगुण
३. धन:+ धान = धनोधान
४. यश:+ धरा = यशोधरा
५. पुर:+ हित = पुरोहित
🙏 जय जय 🙏🏻
Antima
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