🌸 झंझावातों से हिला नही जो,
अंधियारे में भी डरा नहीं,
जिसका आँसू भी बह करके,
तन के मैल को धोता है।
🌸 वो महापुरुष है जो धरती को अपने हाथों से सँजोता है।
अपने हित का बलिदान देकर जो कर्म सकल ही करता है।
आदर्श के पथ पर चलकर स्वदेश पर मरता है।
बाधाओं और निंदाओं से जो बिल्कुल भी नहीं डरता है।
🌸 उसका हर कर्म ही गीता है,
औरों के हित जो जीता है।
रामायण के आदर्शों पर
आज कहाँ कोई जीता है।
🌸 शिक्षक देश के बदल जाये अगर,
युग स्वंय ही बदलता चला जायेगा।
शिक्षक यदि होगा सशक्त,
विद्यार्थी बनेगा राष्ट्र भक्त।
🌸 यदि विचार ही अच्छा हो तो,
प्रकृति का मिलता है सहयोग,
वातावरण को शुद्ध करें तो,
तन मन यश का मिलें योग।
🌸 जो दुर्गम पथ पर चढ़ जाता है,
शिव कैलाशी वो कहलाता है,
पत्थर को मूर्ति बनाता है,
सच्चा शिल्पी वो कहलाता है।
व्यक्तित्व हमारा ऐसा हो,
जो अटल लक्ष्य पर चलता हो,
जीवन के दुर्गम पथ पर जो,
बिना डिगें ही चलता हो।
♤ दीपक की बाती सा जलकर उजाला जो फैलाया है, अंधकार मिटाया है, चमन को महकाया है, विद्यालय सुंदर बनाया है।
♤ माँ सरस्वती आशीष भरें,
साहिल भी अपना शीश धरें।
♤ देख के ऐसी शुभ करनी को,
कैलाश को आज नमन करें।
🏻 डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
~ वृतानवृत छन्द~
विधान~
[ सगण भगण गुरु गुरु ]
(112 211 2 2)
8 वर्ण,4 चरण,
दो-दो चरण समतुकांत]
दुख को दूर भगाओ।
मन में भाव जगाओ।।
प्रभु का गीत सुनाओ।
सुख का पर्व मनाओ।।
✍ डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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