🌷🌷🌷सुप्रभात🌷🌷🌷
कोई साथ मेरे आज,
मन पर करे राज,
छेड़े नित नव साज,
उसको बुलाइये।
जग की ये रीत कभी ,
साथ चल मीत अभी ।
मिल रही प्रीत सभी ,
गले तो लगाइये ।।
अधरों से आज बोल ,
सपनों के राज खोल ।
आँसुओ का आज मोल ,
साथ में सुलाइये ।।
दिल में उमंग जगे ,
मन में तरंग आज ।
पूरण हों सारे काज ,
दुख को मिटाइये ।।
डॉ अरुण श्रीवास्तव "अर्णव"
स्वाभिमान की गौरवगाथा ,
खुद का भी बस मान रहे ।
जो भी जैसा भी है मेरा ,
बस उससे पहचान रहे ।।
नहीं बड़ा अरु कोई छोटा ,
करमों से बस शान रहे ।
द्वेषभावना सभी मिटायें ,
मन में ना अभिमान रहे ।।
अभिमानों में रिश्ते टूटे ,
नाते भी सब बोझ लगे ।
स्वाभिमान की गरिमा से पर ,
खुद में भी इक ओज जगे ।।
अहंकार को सभी छोड़कर ,
युग का नव आकार दिखे ।
जो भी जिससे मिला हमेशा ,
बस उसका आभार लिखे ।।
डॉ अरुण श्रीवास्तव "अर्णव"
🌷🌷🌷सुप्रभात🌷🌷🌷
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