Skip to main content

सुप्रभात डाॅ• अरुण जी

मैं तुम मिलकर हम हो जाते
अगर अहं को छोड़ के आते।  

अपनी बातें कुछ कह पाते,
कुछ अपने मन की सुन जाते ।।
काश समझ पाते हम दोनों ,
जीवन के हर पल मुस्काते ।। 

खुशियों को दामन में भरते ,
दर्द दिलों के कम हो जाते ।
मैं तुम मिलकर हम हो जाते ।।

तनहाई भी कम हो जाती ,
यौवन की कलिका मुस्काती ।
बिना कहे मन सब कुछ समझे ,
सारी खुशियाँ घर भर लाती ।।

जीवन में फिर दीप नेह के ,
मिलकर के हम रोज जलाते ।
मैं तुम मिलकर हम हो जाते ।।

डॉ अरुण श्रीवास्तव "अर्णव"

🌷🌷🌷सुप्रभात🌷🌷🌷

Comments

Popular posts from this blog

वर्णमाला

[18/04 1:52 PM] Rahul Shukla: [20/03 23:13] अंजलि शीलू: स्वर का नवा व अंतिम भेद १. *संवृत्त* - मुँह का कम खुलना। उदाहरण -   इ, ई, उ, ऊ, ऋ २. *अर्ध संवृत*- कम मुँह खुलने पर निकलने वाले स्वर। उदाहरण - ए, ओ ३. *विवृत्त* - मुँह गुफा जैस...

वर्णों के 8 उच्चारण स्थान

कुल उच्चारण स्थान ~ ८ (आठ) हैं ~ १. कण्ठ~ गले पर सामने की ओर उभरा हुआ भाग (मणि)  २. तालु~ जीभ के ठीक ऊपर वाला गहरा भाग ३. मूर्धा~ तालु के ऊपरी भाग से लेकर ऊपर के दाँतों तक ४. दन्त~ ये जानते ही ...

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द के प्रकार

व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द व्युत्पत्ति का अर्थ है ~ विशेष प्रयास व प्रयोजन द्वारा शब्द को जन्म देना| यह दो प्रकार से होता है~ १. अतर्क के शब्द (जिनकी बनावट व अर्थ धारण का कारण ...