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आ• डाॅ• अरुण कुमार श्रीवास्तव "अर्णव" जी के साहित्यमेघ की समीक्षा
"मन प्रफुल्लित हो गया देखकर साहित्यमेघ,
आज पढ़ने को मिला अर्णव जी का मेघ।"
आ• राजवीर सिंह मंत्र जी ने आपका बेहतरीन परिचय दिया है, साम्यवादी दृष्टिकोण एवं आपके विनोदी व हँसमुख स्वभाव के कारण साहित्य जगत के चार्ली चैपलिन की उपाधि एकदम सही दी हैं।
रेशम ब्रजभूषण पुत्र, अर्णव सरल महान।
सकल सृजन से भर रहें,
साहित्य प्रेम जहान।।
अत्यन्त प्रभावशाली भावपूर्ण मुक्त सृजन के प्रणेता, आपका क्षणिक सृजन भी कमाल कर देता हैं। भाषा शैली शुद्ध खड़ी बोली हिन्दी एवं कुछ उर्दू शब्दों का प्रयोग देखा गया है। आपकी सामाजिक विषयों, ऋंगार एवं हास्य रस पर अच्छी पकड़ है।
आ• डाॅ• अरुण कुमार श्रीवास्तव "अर्णव" जी के साहित्यमेघ में समाहित निम्नलिखित शीर्षकों से सुसज्जित शानदार सृजनों की काव्यात्मक समीक्षा का प्रयास ~ ~
🌹 आत्मबल ~
मन को अपना संबल माने,
दुख और विपदा को दूर करें।
🌹 अमृत वचन ~
सत्य का विचार लेकर,
भाव की बरसात हो,
नित्य नव आशा जगायें,
प्रेम की सौगात हो।
🌹 सुन्दर विचार ~
अति उत्तम विचार
🌹 सुप्रभात सन्देश ~ रोशनी भी अरुण लाये,
ताजगी अहसास भी,
घिर गये जब दुख के बादल, किरण की फिर आस भी।
🌹 अनुशासन ~
अरुण हमें सिखाता हैं,
नियत समय पर आता है,
निराशा के बादल को,
स्वर्णिम प्रकाश हटाता है।
🌹 योग ~ योग पर शानदार पंक्तियाँ
🌹 नेह की सौगात ~ जिन्दगी का अहसास हो तुम,
प्रेम के सफर की प्यास हो तुम।
🌹 सुविचार (होली)~ जैसे फाल्गुन में भाव,
हरदम ही हो जायें,
सदा रहें प्रेम से,
भाव पुष्प खिल जायें।
🌹 मेरा बचपन ~
सबसे प्यारे दिन थे मेरे
जो बचपन में साथ जिएँ।
गजब लेखनी कर गयी
बचपन की भी याद किए।
🌹 आशा के लघुगीत ~
प्रेम की हो संवेदना तो,
मिट जाये कुरीति भी।
🌹 नारी सम्मान
नारी ने सदा ही किया
सामाजिक उत्थान
अपने स्नेह से भर दिया
पुरुषों का जहान।
धन्यवाद
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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