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कविराज तरुण शुभ नमन

    🙏🏼--० शुभ नमन ०--🙏🏼

मिले हालात जैसे भी ,
कटे ये रात कैसे भी ।
चलो हम भी जरा समझें ,
मोहब्बत राज वैसे भी ।।

सुबह की रौशनी के संग
लिखें हम गीत मन भावन ।
तुम्हारे प्यार की गीता ,
करे फिर आज अब पावन ।।

कभी काली सियाही सी ,
कभी कड़वी दवाई सी ।
मिली थी रात रातों में
बिन तारों के बिताई थी ।।

मगर अब चाँद गायब है,
सूरज की छटा अनुपम ।
उजाला ही उजाला है ,
चहक चिड़ियों की है सरगम ।।

कविराज तरुण 'सक्षम'
साहित्य संगम संस्थान

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