सामाजिक सद्भावना
सद्भभावों का दीप जला दो,
सुविचारों से रीत बना दो,
सबके हित का गीत बना दो,
सामाजिक संगीत बना दो।
एकता को जीत बना लो,
राष्ट्र प्रेम को मीत बना लो,
युवा को जगजीत बना लो,
सामाजिक संजीत बना लो।
कुरीति भ्रष्टाचार भगा दो,
व्यभिचारी को दूर भगा दो,
अंतस भावों में नेह जगा दो,
सद्भभावों से समाज जगा दो।
डाॅ• राहुल शुक्ल साहिल
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