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म की संधि (व्यंजन संधि)

     व्यंजन संधि

♤  [ध्वनि विकार म् की संधि] ♤

[1]  पहला नियम ~ 

हल् व्यंजन  म्  के पीछे जो कोई स्वर आ जाये,
म्  उसमें मिल करके पूर्ण वर्ण बना जाये।

□  म् की संधि में प्रथम पद सम् होगा।

म् की संधि का उदाहरण  ~
१. समीक्षा = सम् + ईक्षा
२. समेकित = सम् + एकित
३. समाधान = सम् + आधान
४. समाकलन = सम् + आकलन
५. समीकरण = सम् + ईकरण

[2]   दूसरा नियम ~

हल् व्यंजन म् के पीछे स्पर्श और संयुक्त आ जाये,
पिछले वर्ण के वर्ग का पंचम म् की ठौर पे आ जम जाये।

अर्थात ~
म् - वर्ग वर्ण (स्पर्श क से म तक २५ में से कोई भी ) या संयुक्त (केवल क्ष, त्र, ज्ञ ही , श्र नहीं) =पिछले वर्ण के वर्ग का पंचम 'म्' के स्थान पर |

कुछ उदाहरण ~
१. सम्+धान
       म् के बाद ध ( त वर्ग का चौथा, तो त का पंचम -न- म् की जगह आधा होगा , क्योंकि म् आधा है~
=सम्+धान
           |
   ध के कारण त का पंचम न्
=सन्धान
इसे  संधान  भी लिखते है |

     पहली बात♧

बिन्दु  ं  (अनुस्वार) संधि विच्छेद में हमेशा  म्  ही होगा।

जैसे~
संजय=सम्+जय
पंकज=पम्+कज
संदेश=सम्+देश

      दूसरी बात♧

बिन्दु\अनुस्वार  को खोलने लिये अनुस्वार के बाद वाले वर्ण की पंक्ति का आगे से पंचम ही अनुस्वार है~
जैसे~
संदेश
सं के बाद द, तो द की पंक्ति~ त का पंचम न ही आधा होकर (न्) अनुस्वार बना है अत: पुन: लगाकर अनुस्वार हटा दें ~  सन्देश

पहले  अनुस्वार को खोलने का अभ्यास करें।

संधान = सन्धान
बंधन = बन्धन
अंतर = अन्तर
कंकर = कङ्कर
इंजन = इञ्जन

संधि विच्छेद उदाहरण ~~

१. संत्रास = सम् + त्रास
२. अंगार = अम् + गार
३. संक्षेप = सम् +  क्षेप
४. पंचम = पम् + चम
५. अंग = अम् + ग

[3]  तीसरा नियम ~  

हल् व्यंजन  म्  के पीछे अंतस्थ और ऊष्म आ जाये,  म्  हो जाता अनुस्वार अरु फिर संधि पद बन जाये।

व्याख्या ~
म्+अन्तस्थ (य,र,ल,व), ऊष्म (श,स,ष,ह) = म् अपने आगे वाले पर अनुस्वार होगा

जैसे~
  सम्+यम
=सं+यम
=संयम

अन्तस्थ और ऊष्म में चार-चार वर्ण होने से इनके ठीक आगे आने वाला अनुस्वार खोल नहीं सकते ।

     🏻   जय जय

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