न की संधि
[1] पहला नियम ~
पहले पद में र ऋ ष हो, पीछे न हो किसी प्रकार दोनों में जब संधि होवे, न का ण में करो सुधार।
उदाहरण ~ जैसे~
कृष् + न =कृष्ण
तृष् + ना = तृष्णा
ऋ + न = ऋण
राम +अयन=रामायण
[2] दूसरा नियम ~
नकारान्त पद जब मिले,अन्य शब्द के साथ,
करो अंत न का वहाँ दियो मिला एक साथ।
यहाँ नकारान्त से आशय है अंत में न हलन्त यानि ~न्
तो अर्थ है~
जोड़ने पर न् का लोप (अंत)
और शब्द को खोलने पर प्रथम पदान्त में न् का आगम।
संधि-विच्छेद करें~
१. राजपुरूष = राजन् + पुरूष
२. युवराज = युवन् + राज
३. महामना = महान् + मना
संधि-पद बनाएँ~
१. राजन्+भृत्य = राजभृत्य
२. युवन्+अवस्था = युवावस्था
३. भुवन्+लोक = भुवलोक
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